Tulsi Vivah 2022:  10 तस्वीरों में देखें तुलसी विवाह की पौराणिक कथा

तुलसी विवाह कार्तिक मास में किया जाता है.

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं.

वृंदा पति के वियोग को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई.

वृंदा की राख से जो पौधा उत्पन्न हुआ उसे भगवान विष्णु ने तुलसा का नाम दिया

भगवान विष्णु ने यह प्रण लिया कि वे तुसली के बिना भोग ग्रहण नहीं करेंगे.

इसके साथ ही उनका विवाह शालीग्राम से होगा.

जो कोई श्रद्धापूर्वक तुलसी विवाह संपन्न कराएगा

उसका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहेगा.