उत्तर प्रदेस परिवहन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण सामान्य वाहनों को बिना आरटीओ की अनुमति के लिए फूड कैटरिंग वाहन में तब्दील करना संचालकों को भारी पड़ेगा। अब शहर में ऐसी गाड़ियों की चेकिंग होगी और बिना अनुमति के गाड़ियों के स्वरूप में परिवर्तन को लेकर आरटीओ के इनफोर्समेंट ऑफिसर्स कार्रवाई करेंगे। खबर प्रकाशित होने के बाद अब विभाग जागा है और आरटीओ में रजिस्टर्ड फूड कैटरिंग गाड़ियों की सूची निकाली जा रही है।
आरटीओ कार्यालय में वाहन स्वामियों ने वाहन का रजिस्ट्रेशन बंद और खुली गाड़ी के रूप में कराया, लेकिन बाद में इन्हें मॉडिफाई कर खानपान की दुकान में तब्दील कर दिया। शहर में हर तरफ ऐसे फूड कैटरिंग वाहनों में खाने-पीने की दुकानें चलती हैं। ऐसे वाहन जिन्हें ढोना था सामान पर उन पर बेचा जा रहा खानपान का सामन। शहर के कई क्षेत्रों में ऐसे वाहनों की भरमार है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी ऐसे वाहनों पर कभी कार्रवाई ही नहीं करते है। इन गाड़ियों का खुले या बंद वाहन के रूप में रजिस्ट्रेशन के समय टैक्स तो लाइफटाइम जमा होता है लेकिन हर साल फिटनेस करानी होती है, पर ये वाहन स्वामी कभी फिटनेस कराने ही नहीं जाते। विभागीय अधिकारी ही बताते हैं कि किसी भी वाहन का स्वरूप अनुमति के बिना नहीं बदला जा सकता है, विभाग में खुली और बंद कमर्शियल वाहनों का ही रजिस्ट्रेशन हो सकता है। कैंपर के रूप में सिर्फ बोलेरो ही रजिस्टर्ड होती है।
वाहन कटवाकर बना लेते हैं फूड वाहन
वाहन कटवाकर फूड कैटरिंग वाहनों में तब्दील करने के बाद इसमें किचन का पूरा सामान, गैस बर्नर, सिलेंडर, खड़े होने के लिए लिए फुट रेस्ट बनाकर पूरी तरह से लैस कर दिया जाता है। अब इन फूड कैटरिंग वाहनों पर चाऊमीन, मोमोज, दाल, चाबल, बाटी चोखा और नॉनवेज परोसा जा रहा है।
क्या कहते हैं एआरटीओ ?
इस बारे में एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि ऐसे वाहनों को आरटीओ कार्यालय में फूड कैटरिंग बैंक के रूप में दर्ज होना चाहिए। आरटीओ कार्यालय में कितने वाहन रजिस्टर्ड है फिलहाल इसकी अभी जानकारी नहीं है, लेकिन सड़क पर ऐसे वाहनों में खाने का सामान बेचा जा रहा है जो रजिस्टर्ड नहीं है, उन्हें चिन्हित किया जा रहा है। चिन्हित करने के बाद विशेष अभियान चलाकर इन सभी पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसा नहीं कि सभी वाहन अनरजिस्टर्ड हों। कई वाहन फूड कैटरिंग वैन के रूप में रजिस्टर्ड भी होंगे। सभी की सूची निकालकर विशेष तौर पर जांच होगी।