नयी दिल्ली : दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने शनिवार को मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखकर पूछा कि नाबालिग से बलात्कार और उसे गर्भवती करने के आरोपी अधिकारी को उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न की पिछली शिकायतों के बावजूद महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग में कार्यरत रहने की अनुमति कैसे दी गई।आतिशी ने मुख्य सचिव से 28 अगस्त को शाम पांच बजे तक इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इसमें उन्होंने अधिकारी द्वारा उत्पीड़न किये जाने की शिकायतें कब मिलीं और उन्हें किस व्यक्ति ने देखा इसका भी ब्योरा देने को कहा है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, दिल्ली सरकार के डब्ल्यूसीडी विभाग में उप निदेशक प्रेमोदय खाखा ने नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच लड़की के साथ कई बार कथित तौर पर बलात्कार किया था।पुलिस के अनुसार, आरोपी अधिकारी की पत्नी सीमा रानी ने कथित तौर पर लड़की को गर्भ को गिराने के लिए दवा दी थी। सोमवार को मामले में खाखा और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी से कुछ समय पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश के बाद अधिकारी (खाखा) को पद से निलंबित कर दिया गया था।
दिल्ली डब्ल्यूसीडी विभाग का प्रभार संभालने वाली आतिशी ने मुख्य सचिव को लिखे अपने पत्र में पूछा कि क्या आरोपी के खिलाफ शिकायतों की जांच हुई थी और इसकी जानकारी रखने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी कौन थे।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘क्या इन शिकायतों के आधार पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई?’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘कई खबरों से पता चला है कि डब्ल्यूसीडी विभाग के जिस अधिकारी को एक नाबालिग से बार-बार बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उसके खिलाफ महिलाओं के यौन उत्पीड़न के संबंध में पहले भी शिकायतें थीं। यह बेहद गंभीर मुद्दा है। समय पर कार्रवाई न करने से गलत काम करने वालों को बढ़ावा मिलता है।’’
उन्होंने पूछा, ‘‘वरिष्ठ अधिकारी ऐसी शिकायतों पर कैसे आंखें मूंद सकते हैं?
जो बात इस घटना को विशेष रूप से चिंताजनक बनाती है, वह यह है कि संबंधित अधिकारी महिला एवं बाल विभाग में कार्यरत था। महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपी किसी व्यक्ति को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए जिम्मेदार विभाग में काम करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।’’ उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘यदि यौन उत्पीड़न की शिकायतों के बारे में खबरों पर विश्वास किया जाए, तो ऐसी गंभीर शिकायतों से निपटने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में सरकारी तंत्र द्वारा बरती गई उदासीनता वास्तव में चौंकाने वाली बात है।’’
दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने बृहस्पतिवार को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सिफारिश की थी कि आरोपी को ‘‘तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिए।’’ मालीवाल ने पत्र में उल्लेख किया था, ‘‘आयोग को सूचित किया गया है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पहले चार शिकायतें दर्ज की गई थीं। यह पता चला है कि तीन शिकायतें तीन अलग-अलग महिलाओं द्वारा दी गई थीं, जबकि चौथी शिकायत अज्ञात थी। तीनों शिकायतकर्ताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।