Joshimath Sinking एक ऐसी त्रासदी की दास्तां बन सकती है, जिसमें बड़ी आबादी के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। सवाल ये कि क्या जोशीमठ में दरकती जमीन के नीचे पूरा शहर समा जाएगा ? भयाक्रांत और आक्रोशित जनता ने सुप्रीम कोर्ट से मदद की गुहार लगाई है। उत्तराखंड के लोगों ने देश की सबसे बड़ी अदालत से तत्काल हस्तक्षेप और मदद की अपील की है। बता दें कि समाचार एजेंसियों और मीडिया रिपोर्ट्स में जोशीमठ की बेहद डरावनी तस्वीरें सामने आई हैं। इनमें देखा जा सकता है कि घरों की बुनियाद हिल गई है। पहाड़ और जमीन खिसक रहे हैं। घरों के फर्श दरक रहे हैं। सिर छिपाने के लिए खून-पसीने की कमाई से अरमानों से बनाए गए आशियाने की छत जमींदोज न हो जाए, इस आशंका से बचने के लिए छतों को बांस-बल्लियों से सहारा दिया जा रहा है।
जैसे-तैसे छतों को सहारा देकर सिर छिपा रहे लोग इस आशंका में जी रहे हैं कि कभी भी उनकी समाधि बन सकती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपील की है कि जोशीमठ भूमि धंसने की वर्तमान घटनाओं को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDRF) को जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
The plea has been filed by Swami Avimukteshwaranand Saraswati seeking direction to declare the current incidents of Joshimath land subsidence as a ‘National disaster’ & direct the National Disaster Management Authority to actively support the residents of Joshimath.
— ANI (@ANI) January 7, 2023