Jamia Students PM Modi पर बनी डॉक्यूमेंट्री दिखाएंगे ? सवाल ये उठ रहा है कि क्या सरकार के बैन के खिलाफ छात्र बगावती तेवर दिखा रहे हैं? दरअसल, पहले हैदराबाद में इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई। इसके बाद दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कैंपस में फिल्म की स्क्रीनिंग की खबर सामने आई। अब जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र नरेंद्र मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की तैयारियों में जुटे हैं।
छात्रों के बगावती तेवरों के बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने एक बार फिर साफ किया है कि फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है। ऑफिस ऑफ चीफ प्रॉक्टर (स्टूडेंट वेलफेयर) की तरफ से जारी नोटिस में कहा, ‘बिना विश्वविद्यालय की अनुमति के परिसर में छात्रों की बैठक या किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। निहित स्वार्थ वाले लोगों/संगठनों को शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने से रोकने के लिए विश्वविद्यालय सभी उपाय कर रहा है।’
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के बैन को बेमानी साबित करते हुए जामिया कैंपस में गुजरात दंगों के समय नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल को दिखाने वाली विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का फैसला लिया है। संवेदनशील बात ये है कि जामिया के छात्रों ने गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले या शायद चंद घंटे पहले विवादित फिल्म की स्क्रीनिंग कराने की पहल की है।
गौर करने वाली बात ये भी है कि एक रात पहले जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में इसी विवादित फिल्म को देखते समय पत्थर फेंके जाने का आरोप लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक कैंपस में बिजली सप्लाई काट दी गई, लेकिन JNU प्रशासन का कहना है कि बिजली कटने का डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से कोई संबंध नहीं है, इंजीनियरिंग विभाग मरम्मत में जुटा है। सप्लाई जल्द चालू होने की उम्मीद है।
इस विवादित डॉक्यूमेंट्री को सरकार ने प्रोपगैंडा करार दिया है। सरकार का कहना है कि इसमें एकपक्षीय पहलू दिखाया गया है, जिससे औपनिवेशिक मानसिकता का पता चलता है। यूट्यूब और ट्विटर पर इस फिल्म को बैन कर दिया गया है।
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में जामिया के छात्र पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समय विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया की लाइब्रेरी तक पहुंची पुलिस लाठीचार्ज के कारण कठघरे में आई थी। ऐसे में अब अगर विवादित और प्रतिबंधित फिल्म की स्क्रीनिंग होती है तो गणतंत्र दिवस के ठीक पहले माहौल बिगड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।