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  • November 22, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

SC Election Commissioner Appointment: कोर्ट ने क्यों कहा- सात दशकों के बाद भी कानून का अभाव, मतदाताओं का विश्वास डगमगाया

SC Election Commissioner Appointment: कोर्ट ने क्यों कहा- सात दशकों के बाद भी कानून का अभाव, मतदाताओं का विश्वास डगमगाया

SC Election Commissioner Appointment: केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति करने के लिए पैनल की स्थापना करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, सात दशकों के बाद भी कानून का अभाव Vacuum दिखाता है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए प्रधानमंत्री, लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी), सुप्रीम कोर्ट के चीऱ जस्टिस सीजेआई को मिलकर एक पैनल स्थापित किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मौलिक मूल्यों पर कार्यपालिका के एकमात्र हाथों में नियुक्तियों को जारी रखने के विनाशकारी प्रभाव से चिंतित हैं, साथ ही मौलिक अधिकारों का भी सवाल है। कोर्ट ने कहा, हमारा विचार है कि न्यायालय के लिए मानदंड निर्धारित करने का समय आ गया है। कोर्ट के अनुसार Vacuum इस आधार पर मौजूद है कि, अन्य नियुक्तियों के विपरीत, इसमें इरादा यह था कि पूरी तरह से कार्यपालिका द्वारा विशेष रूप से नियुक्ति केवल एक अस्थायी या अस्थायी व्यवस्था थी और इसे संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना था। कार्यपालिका की शक्ति अनन्य है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा, यह निष्कर्ष स्पष्ट और अपरिहार्य है और सात दशकों के बाद भी कानून की अनुपस्थिति शून्य की ओर इशारा करती है। कोर्ट ने कहा कि देश में चुनावी परिदृश्य वह नहीं है जो देश के गणतंत्र बनने के तुरंत बाद के वर्षों में था। राजनीति का अपराधीकरण, इसके साथ जुड़ी सभी बुराइयों के साथ, एक भयानक वास्तविकता बन गया है। प्रजातंत्र की बुनियाद रखने वाली प्रक्रिया में ही मतदाताओं का विश्वास डगमगा गया है।

अदालत ने कहा, ‘बड़े पैसे’ का प्रभाव और चुनावों को प्रभावित करने की इसकी शक्ति, मीडिया के कुछ वर्गों का प्रभाव के कारण यह नितांत अनिवार्य हो जाता है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अलग तरीके से हो। न्यायालय नागरिकों का संरक्षक है। यह मौलिक अधिकार का मामला बन जाता है, इसे स्थगित नहीं किया जा सकता।

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