उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की सभी कार्यशालाओं को रोडवेज के एमडी संजय कुमार ने दो दो करोड़ रुपए दिए लेकिन बसों की हालत फिर भी नहीं सुधरी। ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी बसों का कायाकल्प कराने के अफसरों ने दावे किए लेकिन यह दावे एक दिन पहले हुई बरसात में धूल गए। अब परिवहन निगम ने फैसला लिया है कि बरसात में बसों की छत टपकी या बॉडी में कही गड़बड़ी मिली तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच कर एक्शन लिया जाएगा।
पांच लाख किलामीटर तक चल चुकीं बसों का एक सप्ताह में सर्वे कराया जाएगा। सर्वे में बसों की छत, शीशे और बॉडी की जांच होगी। सर्वे की जिम्मेदारी। रोडवेज मुख्यालय पर तैनात प्रधान प्रबंधक (टेक्निकल) को सौंपी गई है।
बता दें कि मंगलवार को लखनऊ से गोरखपुर जा रही हैदरगढ़ डिपो की बस यूपी 33 एटी 4761 में बारिश का पानी सीटों पर लगातार टपकता रहा। भीगते हुए यात्रियों ने अपना सफर पूरा किया। आलम यह था कि महिला यात्री को इंजन के बोनट पर बैठकर यात्रा पूरी करनी पड़ी। मामला संज्ञान में आने के बाद परिवहन निगम के एमडी संजय कुमार ने अधिकारियों की क्लास लगाई।
उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए, साथ ही यह भी कहा है कि अब बरसात के दौरान अगर बस की छत टपकी तो वर्कशॉप के जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा। सभी पुरानी बसों का सर्वे कराया जाएगा।l। इनमें से जिन बसों की छत, बॉडी, शीशे दुरुस्त नहीं होंगे, उन्हें फिट कराया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) आरएन वर्मा को सौंपी गई है।
खर्च हो गए दो करोड़, टपकती ही रहीं बसें
परिवहन निगमने प्रबंध निदेशक संजय कुमार ने बसों के रखरखाव के लिए दो करोड़ ररुपये जारी किए थे। प्रदेश भर के सभी 20 क्षेत्रों को उनकी क्षमता के अनुसार ये पैसा वितरित करना था। चार माह से ज्यादा का वक्त बीत गया लेकिन बसों की स्थिति जस की तस ही है। बीच रास्ते आए दिन बसें बंद हो जा रही हैं। बसों की सीटें पहले ही की तरह हैं। मंगलवार को अचानक हुई तेज बरसात ने बसों की दयनीय स्थिति को एक बार उजागर कर दिया।