ISRO का Chandrayaan 3 चांद की सतह चूमने को तैयार है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नेहरू तारामंडल में चंद्रयान तीन की लैंडिंग के मौके पर खास इंतजाम किए गए हैं। खगोल विज्ञान प्रेमी इस ऐतिहासिक मौके के साक्षी बनने को बेताब हैं।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के उतरने के नजारे को लाइव देखने के इच्छुक लोग दिल्ली में नेहरू तारामंडल में 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के नज़ारे देख सकेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से स्काई थियेटर में लाइव प्रसारण होगा।
बड़े बड़े प्रोजेक्टर स्क्रीन लगाकर 2डी नजारे दिखाने की तैयारी है। इतिहास का साक्षी बनने के लिए बेताब लोगों के लिए वेबकॉस्ट की व्यस्था भी नेहरू तारामंडल की ओर से की गई है। नेहरू तारामंडल आने वाले दर्शकों के लिए चंद्रयान-3 का खास एग्जीबिशन भी लगाया गया है।
प्रदर्शनी में चंद्रयान की वास्तविक बनावट को जान, देख और समझ सकेंगे। नेहरू तारामंडल की कार्यक्रम प्रबंधक प्रेरणा चंद्रा ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर हर किसी के मन में एक खास उत्साह, रुचि और जिज्ञासा है।
एग्जीबिशन के बारे में प्रेरणा चंद्रा ने बताया कि चंद्रयान 3 से जुड़े तथ्यों के बारे में दर्शक जानकारी हासिल कर सकेंगे। दर्शकों के लिए उस दिन विशेष शो भी आयोजित किए जाएंगे। चंद्रयान मिशन और चंद्रमा से जुड़े तथ्यों पर आधारित होंगे। बच्चों के लिए कार्यशाला भी होगी।
चंद्रयान-3 का एक मॉडल भी तारामंडल में स्थापित किया गया है। इसके जरिए दर्शक चंद्रयान से जुड़े रहस्यों को जान सकते हैं। हमने दो दिवसीय मून कार्निवल का आयोजन किया है। इसमें चंद्रमा पर आधारित शो की स्क्रीनिंग किया जाएगा।
बच्चों को चांद की सतह पर चंद्रयान से जुड़ी गतिविधियों के बारे में बताया जाएगा। एग्जीबिशन में GSLV MK 3 रॉकेट, प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को दर्शाया गया है। दर्शकों को समझाने का प्रयास किया गया है कि चंद्रयान 3 चांद पर लैंड कैसे करेगा।
नेहरू तारामंडल में शुक्रवार से दो दिवसीय मून कार्निवल का भी आयोजन किया गया है, जिसमें दिल्ली एनसीआर के तकरीबन 20 स्कूलों से 150 स्कूली बच्चों को बुलाया गया है। एनीमेशन और एग्जीबिशन के जरिए चांद और चंद्रयान मिशन के बारे में जरूरी जानकारी दी गई।
चांद कब बना, कैसे बना, चांद पर वातावरण कैसा है? क्या वहां ज़िंदगी जी जा सकती है? कौन कौन से देश चांद पर अपना झंडा लहरा चुके हैं? इन सवालों के जवाब दिए जाएंगे। चंद्रयान 3 के अलावा बच्चों को चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 मिशन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
स्कूली बच्चों ने बताया कि हमें आज बहुत कुछ सीखने को मिला। जो एक्सपर्ट्स थे यहां उन्होंने बेहद आसान तरीके से सभी चीजों को समझाया। चंद्रयान 2 कैसे अपने मिशन से थोड़ा सा ही चूका, लेकिन उससे कलेक्ट किया गया डाटा कई देशों के काम आए।
बच्चों ने माना कि चंद्रयान 3 में भी उस डाटा का इस्तेमाल किया गया है। इस कार्निवल से हमें जरूर अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि आई है। बच्चों ने खूब सवाल भी पूछे। जैसे चंद्रयान 3 को दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतारा जा रहा है? एक्सपर्ट्स ने बताया कि चांद के इसी हिस्से में चंद्रयान 1 ने पानी के मिनरल्स की खोज की थी।
एस्ट्रोनॉमर अर्जुन गुल्लिया के अनुसार, विशेषज्ञों के अनुसार, इसरो के पुराने मून मिशन से एक कदम आगे बढ़कर चंद्रयान 3 चांद के इस हिस्से में पानी किस रूप में मौजूद हैं, ये पता लगाएगा।
नेहरू तारामंडल के इस आयोजन का मकसद बच्चों को कम उम्र से ही इसके अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में रुचि पैदा की जाए ताकि आगे चलकर ये इसे अपने सफल कैरियर के रूप भी देखें।