Christmas 2022 जीसस क्राइस्ट के जन्म के साथ शुरू हो गया है। ईसाई धर्मावलंबियों के मत के मुताबिक 24 दिसंबर की रात करीब 10.30 बजे ईसा मसीह का प्राकट्य हुआ। काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस में भी क्रिसमस की धूम है। सर्वधर्म समभाव का अनोखा संदेश दिया जा रहा है।
धर्मनगरी काशी में क्रिसमस का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। आम तौर पर 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार की बधाइयां दी जाती हैं, लेकिन शनिवार देर शाम से ही क्रिसमस की शुरुआत के बारे में ईसाई धर्मावलंबियों ने बताया, मध्यरात्रि में प्रभु यीशु के जन्म के साथ ही फिजा में मैरी क्रिसमस, हैप्पी क्रिसमस गूंज उठता है। शहर भर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु के जन्म के प्रतीक के रूप में चरनी सजाई गई। घरों और कालोनियों में कैरोल गीतों की गूंज सुनाई दी। मसीही गीतों के बीच सेंटा क्लॉज लोगों को गिफ्ट और टॉफियां बांटते दिखे।
बता दें कि बनारस में कुल 44 चर्च हैं, लेकिन छावनी क्षेत्र स्थित सेंट मेरीज महागिरजा मसीही आस्था का प्रमुख केंद्र है। युवाओं के बीच काफी मशहूर ये चर्च बनारस के छावनी इलाके में स्थित है। सेंट मेरीज महागिरजाघर करीब 200 साल पुराना है। पूर्वांचल का यह पहला ऐसा चर्च है जिसकी दीवारों पर गीता के श्लोक भी लिखे हैं, बाहरी दीवारों पर ईसा मसीह के संदेश लिखे हैं। इसे धार्मिक सौहार्द का उदाहरण भी समझा जाता है। सर्वधर्म समभाव को दर्शाने वाला आस्था का ये केंद्र क्रिसमस के मौके पर गुलजार रहता है। यहां तीन दिनों तक मेले का आयोजन होता है।
भव्य मेले के बहाने सभी धर्म के लोग एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं। काशी की गंगा- जमुनी तहजीब की मिसाल इस गिरजाघर में क्रिसमस के मौके पर प्रार्थना करने हजारों लोग आते हैं। कैंटोनमेंट क्षेत्र में बना काशी का यह पहला गिरजाघर घंटे के लिए भी लोकप्रिय था। हालांकि, एक दशक पहले घंटा चोरी हो गया। पुराने लोग बताते हैं कि घंटे की आवाज सात किलोमीटर दूर भेलूपुर तक सुनाई देती थी।
कैंटोनमेंट स्थित सेंट मेरीज चर्च आम जनता में इंग्लिशिया गिरजाघर के नाम से भी मशहूर है। इसमें ब्रिटिश आर्मी के जवान प्रार्थना करते थे। इसके चलते इसे गैरिसन चर्च (सैनिक गिरजा) भी कहा जाता था। वास्तुकला की बात करें तो इसके भीतर संगमरमर की बेहतरीन कारीगरी की गई है। स्टेन ग्लास (रंगीन शीशे के टुकड़ों) से पेंटिंग इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। परिसर में बंगाल रेजीमेंट के एक ब्रिगेडियर सहित कई सैनिकों के स्मृति स्तंभ भी स्थापित हैं।