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  • October 3, 2024
  • Last Update August 15, 2024 9:49 am
  • Noida

Independence Day, आजादी की खातिर इन 5 महिलाओं ने पेश की चुनौती

Independence Day, आजादी की खातिर इन 5 महिलाओं ने पेश की चुनौती

Independence Day: देश की महिलाओं ने स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अंग्रेजों की विभिन्न यातनाएं झेली और उनके शोषण का सामना किया. देशभर में मंगलवार को 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. भारत को आजाद हुए 75 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन आज भी देशवासियों के दिल में उन शख्स‍ियतों के लिए प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ है, जिन्होंने आजादी की खातिर अपनी जान दे दी. आजादी के लिए शहादत देने वालों में देश की महिलाएं भी शामिल हैं. ब्रिटिश राज से भारत की आजादी के संघर्ष में महिलाओं के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

देश की महिलाओं ने स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अंग्रेजों की विभिन्न यातनाएं झेली और उनके शोषण का सामना किया. 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आइए एक नजर डालते हैं भारत की उन महिला स्वतंत्रता सेनानियों पर जिनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता.

1- मातंगिनी हाजरा
मातंगिनी हाजरा को गांधी बुरी के नाम से जाना जाता था. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भाग लिया. एक जुलूस के दौरान, तीन बार गोली लगने के बाद भी वह भारतीय ध्वज के साथ आगे बढ़ती रहीं. वह ‘वंदे मातरम’ चिल्लाती रहीं.

2-सरोजिनी नायडू
भारतीय कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी ही नहीं, बल्कि एक कवियत्री भी थीं. सरोजिनी नायडू ने खिलाफत आंदोलन की कमान संभाली और अग्रेजों को भारत से निकालने में अहम योगदान दिया.

3- अम्मु स्वामीनाथन
अम्मु स्वामीनाथन भी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं. वह सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और भारत की संविधान सभा के सदस्यों में से एक थीं. अम्‍मू ने शादी के बाद ही पढ़ाई की और अंग्रेजी सीखी. बाद में वह आजादी की लड़ाई से जुड़ गईं और महात्मा गांधी की फॉलोवर बन गईं.

4-रमादेवी चौधरी
रमादेवी चौधरी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थीं. साल 1921 में वह अपने पति के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुई थीं. वह महात्मा गांधी से बहुत अधिक प्रभावित थीं. उन्होंने असहयोग आंदोलन में बढ़ृ-चढ़ कर हिस्सा लिया था. वह गांव-गांव जाकर महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती थीं.

5- अरुणा आसिफ अली
वह स्वतंत्रता आंदोलन की ‘द ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के नाम से लोकप्रिय हैं. वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं. अरुणा को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए जाना जाता है. उन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन के साथ-साथ अन्य विरोध मार्चों में भी भाग लिया और जेल गईं.

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