Jinnah पाकिस्तान में कायद-ए-आजम कहे जाते हैं। हिंदुस्तान के विभाजन और पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के पीछे तमाम कारणों में एक मोहम्मद अली जिन्ना को भी माना जाता है। हालांकि, इतिहासकारों में इस बिंदु पर व्यापक मतभेद भी हैं। आज भारत की आजादी की 77वीं वर्षगांठ के मौके पर एक नजर 1947 के कुछ अहम ऐतिहासिक तथ्यों पर। इनके बिना भारत की आजादी की दास्तां अधूरी है।
3 जून 1947 को वाइसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन औपचारिक रूप से भारत की आजादी और देश के बंटवारे का ऐलान करने वाले थे, लेकिन उनकी घोषणा से एक रात पहले कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं ने उनसे मुलाकात की. इसका जिक्र डोमिनिक लैपीयर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ़्रीडम एट मिडनाइट’ में किया था.
उन्होंने लिखा, “2 जून 1947 को सात भारतीय नेता लॉर्ड माउंटबेटन के कमरे में समझौते के कागजों को पढ़ने-सुनने के लिए गए थे. इन नेताओं में जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी शामिल थे. वहीं, मुस्लिम लीग की ओर से मोहम्मद अली जिन्ना, लियाकत अली खान और अब्दुर्रब निश्तर ने वाइसरॉय से मुलाकात की थी.
गांधी जी मीटिंग में नहीं हुए शामिल
सिखों की ओर बलदेव सिंह बैठक में शामिल हुए थे. हालांकि, गांधी इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे. बैठक में लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी योजना के बारे में एक-एक करके बताना शुरू किया.
वायसराय ने मांगा जवाब
वाइसरॉय ने इस योजना पर आधी रात तक सबसे जवाब मांगा. उन्होंने उम्मीद थी कि तीनों पक्ष इस योजना पर सहमत हो जाएंगे. इसके बाद आधी रात को दूसरी बैठक हुई और इसमें महात्मा गांधी ने भी शिरकत की. इसके बाद माउंटबेटन ने अपनी गांधी जी को समझाई.
नहीं मान रहे थे जिन्ना
लॉर्ड माउंटबेटन को कांग्रेस और सिखों की ओर से तय समय सीमा में सहमति मिल गई, लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना नहीं मान रहे थे. दोनों के बीच बातचीत होती रही, लेकिन जिन्ना उन्हें टाल रहे थे. इसके बाद उन्होंने जिन्ना से कहा, ” मैं आपको अपनी योजना बर्बाद नहीं करने दूंगा. मैं कल की मीटिंग में कहूंगा कि मुझे कांग्रेस का जवाब मिल गया है. उन्होंने कुछ शंकाएं उठाई हैं जिन्हें मैं दूर कर दूंगा. सिख भी मान गए हैं.” इसके बाद दोनों में काफी देर तक बात हुई और जिन्ना भी योजना पर राजी हो गए.
सभी नेताओं ने दी सहमति
इसके बाद विभाजन और आजादी को लेकर लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं के साथ औपचारिक स्वीकृति के लिए एक बैठक की और 3 जून, 1947 को शाम करीब सात बजे सभी प्रमुख नेताओं ने दो अलग देश बनाने पर अपनी सहमति दे दी.
अचानक तय हुई आजादी की तारीख़?
अगले दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उनसे पूछा गया कि सर क्या आपने सत्ता सौंपने के लिए कोई तारीख सोच रखी होगी? हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई तारीख नहीं सोची थी. लेकिन वो मानते थे कि यह काम जल्द से जल्द हो जाना चाहिए.
15 अगस्त को भारत को मिली सत्ता
अचानक माउंटबेटन ने उस समय प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैंने सत्ता सौंपने की तारीख तय कर ली है और उन्होंने एलान कर दिया कि 15 अगस्त, 1947 को भारत को सत्ता सौंप दी जाएगी. इस बीच 14 और 15 अगस्त की दरम्यानी रात को भारत का बंटवारा हो गया और नए मुल्क पाकिस्तान अस्तित्व में आ गया