क्या Jamia BBC Documentary के कारण ‘घिरी’ ? ये सवाल इसलिए क्योंकि स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) नरेंद्र मोदी के सीएम वाले कार्यकाल पर आधारित फिल्म की स्क्रीनिंग जामिया मिल्लिया के कैंपस में कराने पर अड़ी है। गणतंत्र दिवस समारोह के चंद घंटे पहले दिल्ली पुलिस ने माहौल बिगड़ने की आशंका के बीच दर्जनों छात्रों को हिरासत में लिया है। कैंपस में किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए Riot Control फोर्स बुलाई गई है।
Jamia BBC Documentary और SFI
दरअसल, छात्र सरकार के बैन के खिलाफ छात्र बगावती तेवर दिखा रहे हैं? SFI का कहना है कि वे कोई भी गलत काम नहीं कर रहे हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक एसएफआई के एक नेता वर्की पराक्कल ने कहा कि फिल्म को औपचारिक रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। सरकार के खिलाफ असहमति संविधान से मिला अधिकार है। यदि लोकतंत्र के इन बुनियादी गुणों को उच्च शिक्षण संस्थानों में नकारा जाएगा तो छात्र सवाल करेंगे। उन्होंने कहा, छात्र आलोचना करते हैं, असहमति जताते हैं। इन्हें अगर कुचला जाता है तो इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति सामने आएगी।
क्या छात्र, जामिया और पुलिस आमने-सामने ?
जामिया से पहले हैदराबाद में इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई। इसके बाद दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कैंपस में फिल्म की स्क्रीनिंग की खबर सामने आई। अब जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र नरेंद्र मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की तैयारियों में जुटे हैं। पुलिस हालात नियंत्रित रखने की कोशिशों में जुटी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी कहा है कि किसी भी Unauthorized गतिविधि की परमिशन नहीं दी जाएगी।
छात्रों के बगावती तेवरों के बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने एक बार फिर साफ किया है कि फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है। ऑफिस ऑफ चीफ प्रॉक्टर (स्टूडेंट वेलफेयर) की तरफ से जारी नोटिस में कहा, ‘बिना विश्वविद्यालय की अनुमति के परिसर में छात्रों की बैठक या किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। निहित स्वार्थ वाले लोगों/संगठनों को शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने से रोकने के लिए विश्वविद्यालय सभी उपाय कर रहा है।’
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के बैन को बेमानी साबित करते हुए जामिया कैंपस में गुजरात दंगों के समय नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल को दिखाने वाली विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का फैसला लिया है। संवेदनशील बात ये है कि जामिया के छात्रों ने गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले या शायद चंद घंटे पहले विवादित फिल्म की स्क्रीनिंग कराने की पहल की है।
गौर करने वाली बात ये भी है कि एक रात पहले जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में इसी विवादित फिल्म को देखते समय पत्थर फेंके जाने का आरोप लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक कैंपस में बिजली सप्लाई काट दी गई, लेकिन JNU प्रशासन का कहना है कि बिजली कटने का डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से कोई संबंध नहीं है, इंजीनियरिंग विभाग मरम्मत में जुटा है। सप्लाई जल्द चालू होने की उम्मीद है।
इस विवादित डॉक्यूमेंट्री को सरकार ने प्रोपगैंडा करार दिया है। सरकार का कहना है कि इसमें एकपक्षीय पहलू दिखाया गया है, जिससे औपनिवेशिक मानसिकता का पता चलता है। यूट्यूब और ट्विटर पर इस फिल्म को बैन कर दिया गया है।
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में जामिया के छात्र पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समय विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया की लाइब्रेरी तक पहुंची पुलिस लाठीचार्ज के कारण कठघरे में आई थी। ऐसे में अब अगर विवादित और प्रतिबंधित फिल्म की स्क्रीनिंग होती है तो गणतंत्र दिवस के ठीक पहले माहौल बिगड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।