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  • September 14, 2025
  • Last Update January 8, 2025 1:51 pm
  • Noida

Kundali में मंगल शुक्र युति का फल

Kundali में मंगल शुक्र युति का फल

Kundali यानी जन्मपत्री या Horoscope में कई ऐसी बातें हैं जिन्हें समझना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। आध्यात्मिक और धार्मिक जानकार रवीश द्विवेदी बता रहे हैं कि मंगल शुक्र युति का फल।

शुक्र जातक को हर प्रकार का भोतिक सुख देता है और मुख्य रूप से काम सुख का कारक होता है ,लेकिन जब तक शरीर में मंगल की उतेजना न हो उस सुख का पूर्ण आनन्द जातक के द्वारा नही लिया जा सकता।शुक्र पुरुष की कुंडली में पत्नी का कारक होता है और मंगल स्त्री की कुंडली मे उसके पुरुष मित्र का कारक होता है।

यदि पुरुष की कुंडली में ये योग हो और शुभ स्तिथि में हो तो उसे स्त्री वर्ग से विशेष सुख दिलाता है।जबकि स्त्री की कुंडली में उसके पुरुष मित्रों से सुख दिलवाता है।
लेकिन स्त्री की कुंडली में ये पति पत्नी के विचार आपस में बहुत कम मिलने देता है और दोनों में आपसी तनाव पैदा करता है क्योंकि मंगल अंहकार का कारक ग्रह भी होता है।ऐसे में महिला जातक में अंहकार की भावना सामान्य से ज्यादा होती है।

मंगल हमारे शरीर में खून का कारक ग्रह है और शुक्र वीर्य का। जब तक शरीर में खून की उचित मात्रा नही होगी वीर्य की कमी का सामना जातक को करना पड़ जाता है।

जब यह योग दुष्फल दे रहा हो तो जातक चरित्र हीन हो जाता है। इन दोनों की युति लग्न में हो और त्रिसांस कुंडली में भी इनका सम्बन्ध बन रहा हो तो जातक या जातिका के पराये मर्द स्त्री से सम्बन्ध बनने के चांस बहुत ज्यादा रहते है।

इन दोनों का योग हो और उसे बृहस्पति देखें तो बहुत ही उत्तम लक्ष्मी होगी जो सभी के काम आएगी इसी प्रकार इन दोनों के योग पर चन्द्र की नजर हो तो भी उत्तम फल मिलेगा। लेकिन इन दोनों के साथ ही चन्द्र भी आ जाए तो जातक को अंत्यंत चंचल परवर्ती का बना देता है और जातक पर स्त्री या पर पुरुष की तरफ बहुत जल्दी आकर्षित हो जाता है।

यदि इन दोनों के साथ ही बुद्ध हो या फिर पापी ग्रह शनी राहू या केतु की दृष्टी हो तो इन दोनों का योग शुभ फल देने में सक्षम नही रहता है। ऐसे में जातक को अवैध सम्बन्ध के कारण कई बार बदनामी तक का सामना करना पड़ जाता है।

रिश्तों में देखें तो शुक्र पत्नी तो मंगल भाई यानी की देवर भाभी का साथ और आपको पता है की इन दोनों का रिश्ता समाज में कैसा माना जाता है।ऐसे हम इस प्रकार समझे की जैसे देवर भाभी इस साथ बैठे हुवे है उनको माता जी चन्द्र या दादा जी गुरु देख रहे है तो उनको किसी भी प्रकार की परेशानी नही होगी और दोनों अच्छी तरह से काम करेंगे लेकिन यदि उन्हें कोई नीच परवर्ती का इंसान राहू देख रहा हो तो वो उन दोनों के बारे गलत अफवाह भी उड़ा सकता सकता है और इन दोनों के मन में भी भी रहेगा की ये इंसान बदनामी करवा सकता है।

शरीर में इन दोनों के योग का खराब फल मिलने पर खून का बहना जैसे की लेडीज को अत्यधिक मासिक धर्म अधिक आना या किसी भी तरह से खून का अधिक बहना जैसे की नकसीर आदि की समस्या हो जाती है ।पुरुष जातक को ये अत्याधिक कामुक स्वभाव का बना देता है जिस से जातक समय से पहले अपनी ऊर्जा को खत्म कर शारीरिक कमजोरी का सामना करता है।

यदि हम कालपुरुष की कुंडली देखें तो मंगल लग्न का मालिक होता है और शुक्र धन परिवार और पत्नी के भाव का मालिक होता है।इसिलिय इन दोनों के अधिकतर शुभ फल ही माने जाते है लेकिन हमे ये भी ध्यान रखना पड़ता है की दूसरा और सप्तम दोनों भाव मारक भाव भी होते है तो मंगल साथ में अस्ठ्म भाव का भी मालिक होता है ऐसे में इनका योग जितना शुभ फल दे सकता है उतना ही अशुभ फल भी ये फल कुंडली में इस बात पर निर्भर करेगा की किस भाव में किस राशि में ये योग बन रहा है और अन्य ग्रहों से इनका कैसा सम्बन्ध बन रहा है।

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