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  • November 21, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

Mahashivratri Shiv Vivah: देवाधिदेव महादेव के दिव्य विवाह की तैयारियां, काशी विश्वनाथ को हल्दी के बाद ठंडई, पान और मेवे का भोग , PHOTOS

Mahashivratri Shiv Vivah: देवाधिदेव महादेव के दिव्य विवाह की तैयारियां, काशी विश्वनाथ को हल्दी के बाद ठंडई, पान और मेवे का भोग , PHOTOS

Mahashivratri Shiv Vivah को लेकर देवाधिदेव महादेव की नगरी बनारस में दिव्य विवाह की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं। गुरुवार को काशी विश्वनाथ को हल्दी लगाई गई। इसके बाद बाबा विश्वनाथ का अलौकिक श्रृंगार हुआ। हल्दी वाले दिन महादेव को ठंडई, पान और मेवे का भोग लगाया गया। हल्दी की रस्म का आयोजन महंत आवास पर हुआ जहां मंगल गीत भी गाए गए। खबर हिंदी दर्शकों-पाठकों के लिए लाया है कुछ मंत्रमुग्ध करती तस्वीरें, देखिए PHOTOS

महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम गुरूवार से विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ होने के बाद टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह का प्रतीक आगमन हुआ। संध्याबेला में शिव को हल्दी लगाई गई। बाबा को ठंडई, पान और मेवे का भोग लगाया गया।

बसंत पंचमी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ का  तिलकोत्सव हुआ था। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। सायंकाल बाबा का संजीव रत्न मिश्र ने विशेष राजसी-स्वरूप में श्रृंगार कर आरती व भोग लगाया एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म महंत डॉ. कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुई।

मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए। महंत आवास पर शिवांजली की शुरूआत आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) ने बाबा के हल्दी के उत्सव के समय वृन्दावन से आकर बाबा के समक्ष अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। अपनी नृत्य सेवा की शुरुवात इन्होंने “अर्धांग से की “अर्धांग भस्म भाभूत सोहे अर्ध मोहिनी रूप है” इसके बाद भगवान शिव के भजन “हे शिव शंकर हे गंगा धर करुणा कर करतार हरे की प्रस्तुति दी। फिर पारंपरिक कथक नृत्य के साथ समापन होली से की जिसके बोल थे” “कैसी ये धूम मचाई बिरज में”से की।

Mahashivratri Shiv Vivah

लोक गीत में पागल बाबा ने ‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला..सुनाया इस अवसर महिलाओं की टोली द्वारा लोकगीत ‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना…’,’शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा…’,‘ अड़भंगी क चोला उतार शिव दुल्हा बना जिम्मेदार’ प्रमुख रहे।

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हल्दी के पारंपरिक शिवगीतों में- भोले के हरदी लगावा देहिया सुंदर बनावा सखी… दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया। साथ ही दुल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी की जा रही थी। मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि विवाह के लिए तैयारियां कैसे की जा रही हैं।

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नंदी, सृंगी, भृंगी आदि गण नाच नाच कर सारा काम कर रहे हैं। शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। हल्दी-तेल पुजन पं.सुशील त्रिपाठी के आचार्यत्व में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने संपन्न कराया।

Mahashivratri Shiv Vivah =============================================================================================================================================

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