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  • July 12, 2025
  • Last Update January 8, 2025 1:51 pm
  • Noida

Mouni Amawasya : मौन स्नान करने का दिन, तीर्थों में पवित्र डुबकी लगाएंगे लाखों श्रद्धालु

Mouni Amawasya : मौन स्नान करने का दिन, तीर्थों में पवित्र डुबकी लगाएंगे लाखों श्रद्धालु

Mouni Amawasya : माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या ‘मौनी अमावस्या’ के नाम से प्रसिद्ध है। जो इस वर्ष शनिवार 21 जनवरी को पड़ रही है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन त्रिवेणी अथवा गंगातट पर स्नान-दान की अपार महिमा है।

क्या करें Mouni Amawasya पर

मौनी अमावस्या को नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करके तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। इस दिन साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए तथा उन्हे कम्बल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए।

अमावस्या तिथि

21 जनवरी को सुबह 06:17 बजे से मौनी अमावस्‍या की शुरुआत होगी और इसका समापन 22 जनवरी को सुबह 02:22 मिनट पर होगा। स्‍नान, दान और व्रत वगैरह 21 जनवरी को रखा जाएगा।

Mouni Amawasya पर मौन व्रत क्‍यों 

ज्‍योतिष मत के अनुसार ‘मौनी’ शब्‍द मुनि से बना है। कहा जाता है कि इस दिन साधु संत मौन रहकर मन और वाणी को संयमित करते थे और ईश्‍वर के ध्‍यान में खुद को लीन रखकर विशेष स‍ि‍द्धियों को प्राप्त किया करते थे। तब से ये परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि इस दिन अगर सामान्‍य लोग भी मन और वाणी को नियंत्रित रखकर मौन व्रत करें तो इससे उन्‍हें मुनिपद की प्राप्ति होती है और जाने-अनजाने किए गए पाप कट जाते हैं।

श्राद्ध करने का भी विधान

इस दिन गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए तथा उसे लाल वस्त्र में बाँधकर दान देना चाहिए। स्नान- दान आदि के अतिरिक्त इस दिन पितृ- श्राद्धादि करने का भी विधान है।

पौराणिक मान्यताएं

पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में माघमास की अमावस्या के माहात्म्य का वर्णन मिलता है। इसलिए सुख-समृद्धि, सभी पापों से मुक्ति और भगवान् वासुदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को इस दिन व्रत-पूजा करनी चाहिए। मान्यता यह भी है कि इस माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

जरूरतमंदों को दान दें

इस दिन कम्बल, लाल कपड़ा, ऊन, रजाई, वस्त्र, स्वर्ण, जूता-चप्पल एवं सभी प्रकार की चादरों को दान करना चाहिए। दान देते समय ‘ माधवः प्रियताम्’ अवश्य कहना चाहिए। इसका अर्थ है- ‘माधव’ (भगवान कृष्ण) अनुग्रह करें।

तिल सृष्टि का पहला अन्न

पूरे माघ मास पवित्र नदियों में स्नान न कर सकें तो केवल मौनी अमावस्या को स्नान करने से पूरे माघ महीने के स्नान का फल मिलता है। संभव हो तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर पितरों के निमित्त तर्पण करें। अन्यथा आप घर पर रहकर ही स्नान के जल में पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

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