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  • September 8, 2024
  • Last Update August 15, 2024 9:49 am
  • Noida

Oil and oilseeds prices, सस्ता आयात बढ़ने से तेल-तिलहन के भाव टूटे

Oil and oilseeds prices, सस्ता आयात बढ़ने से तेल-तिलहन के भाव टूटे

Oil and oilseeds prices, दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल की कीमतें गिरावट के रुख के साथ बंद हुई। बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज लगभग 1.25 प्रतिशत मंदा चल रहा है और शिकागो एक्सचेंज में कोई घट बढ़ नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि देशी तेल तिलहनों (सरसों से सूरजमुखी तक) की लागत 125-135 रुपये बैठती है और बंदरगाहों पर आयातित इन्हीं खाद्यतेलों का भाव 81-82 रुपये लीटर पड़ता है। आयातित तेल का आयात बढ़ रहा है और खुदरा में यही तेल महंगा बिक रहा है। देशी तेल तिलहन उद्योग और तिलहन किसान बदहाल हैं क्योंकि सस्ते आयातित तेलों के आगे देशी तेल मिलों को पेराई में नुकसान हो रहा है और उनकी तेल बिकती नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग खाद्यतेलों के दाम में मामूली वृद्धि पर मुद्रास्फीति बढ़ने की चिंता जाहिर करते थे, उन्हें देश के तिलहन किसान और तेल मिलों की बदहाल स्थिति के बारे में भी चिंता करनी चाहिये। अगर खाद्य तेल कीमतों में मामूली वृद्धि भी होती तो यह पैसा देश के किसानों की जेब में जाता जो देश को तिलहन उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश बरकरार रखते। इससे स्थानीय तेल मिलें चलतीं और लोगों को रोजगार मिलता। सबसे महत्वपूर्ण तेल खली की उपलब्धता बढ़ती।

सूत्रों ने कहा कि संभवत: कुछ बहुराष्ट्रीय एवं बड़ी कंपनियां नहीं चाहतीं कि देश तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बने। उन्होंने जब देखा कि पिछले दो साल में तिलहन उत्पादन बढ़ रहा है तो उनमें से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने कांडला पोर्ट पर (जहां उसका प्रसंस्करण संयंत्र है) ‘फिक्स्ड ड्यूटी’ पर 81 रुपये लीटर के भाव प्रीमियम क्वालिटी के सोयाबीन तेल की थोक बिक्री 30 जून तक के लिए शुरु कर दी।

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उन्होंने कहा कि अगले महीने सूरजमुखी की हरियाणा, पंजाब की फसल आने वाली है। उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,400 रुपये है लेकिन मौजूदा परिस्थिति में इनका 4,000 रुपये क्विन्टल में भी लिवाल भी नहीं मिलेगा। ऐसा इस कारण से कि आयातित सूरजमुखी तेल बंदरगाह पर 77 रुपये लीटर बैठता है और देशी सूरजमुखी तेल (6,400 रुपये के हिसाब से) 135 रुपये लीटर पड़ेगा।

सूत्रों ने कहा कि देश के सामने एक निर्णायक मोड़ है कि वह तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ते हुए सस्ते खाद्यतेलों पर लगाम लगाये या विदेशों पर खाद्यतेल के लिए पूरी तरह निर्भर हो जाये। देश को इस दोराहे में से किसी एक को चुनना होगा।

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