Poush Purnima आज 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा है. इस दिन पूजा पाठ व दान का विशेष महत्व है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को नए साल की पहली पूर्णिमा होगी. पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने संपूर्ण 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर चांदनी बिखेरता है. जानिए ज्योतिषाचार्य गणेश प्रसाद मिश्र से…
महत्व
साधु-संतों के लिए ये विशेष पर्व होता है। इस दिन कई संत तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इनके साथ ही अन्य लोग भी नदियों में डूबकी लगाते हैं। ये पर्व मोक्ष की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। कई पुराणों में जिक्र किया गया है कि पौष महीने की पूर्णिमा मोक्ष दिलाती है। इसलिए मान्यता है कि इस दिन तीर्थ स्नान करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मरने के बाद मोक्ष मिलता है। इस दिन व्रत कर घर में सत्यनारायण की कथा करने से व्यक्ति जीवन में सुख भोगता है और मृत्यु के बाद अगले जन्म में भी धन, शांति और समृद्धि पाता है। साल की पहली पूर्णिमा बहुत खास मानी जा रही है।
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पौष पूर्णिमा पर माघ स्नान का संकल्प
शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा को माघ स्नान का संकल्प ले लेना चाहिए। तीर्थ स्नान के दौरान संकल्प करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही संभव हो तो एक समय भोजन का व्रत भी करना चाहिए। जिस प्रकार पौष मास में तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है, उसी प्रकार माघ में भी स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है। माघ में दान में तिल, गुड़ और कंबल या ऊनी वस्त्र दान देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को 02:14 am से शुरू हो रही है. यह 07 जनवरी दिन शनिवार को प्रात: 04:37 मिनट तक मान्य रहेगी.
पौष पूर्णिमा शुभ योग
खास बात ये है कि पूर्णिमा तिथि और शुक्रवार का दिन दोनों ही लक्ष्मी जी को समर्पित है. ऐसे में पौष पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने का खास अवसर है। इस दिन की गई पूजा और उपाय से जीवन में खुशियों का आगमन होगा. वहीं पौष पूर्णिमा पर ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो इस दिन के महत्व को दोगुना कर रहे हैं. इस तिथि में सर्वार्थ सिद्धि योग 07 जनवरी को 12 :14 am से सुबह 07 :15 मिनट तक है. पौष पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया है. पौष पूर्णिमा की सुबह 07:15 मिनट से भद्रा लग रही है, जो दोपहर 03: 24 मिनट तक रहेगी. भद्रा में कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं.
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पौष पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करना शुभ है इस दिन व्रत रखना चाहिए और पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से विशेष फल मिलता है साथ ही जीवन में सुख शांति आती है. माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है. चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त चंद्र दोष नष्ट हो जाता है.
पौष पूर्णिमा पर ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है
नए साल 2023 में पौष माह की पूर्णिमा 6 जनवरी को है। साल की पहली पूर्णिमा बहुत खास मानी जा रही है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का खास महत्व है। इसके बाद माघ आरंभ हो जाएगा। पूर्णिमा तिथि शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन होता है और शास्त्रों में शुक्ल पक्ष को देवताओं का समय कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है।
पुण्य को पूर्ण करने वाला पर्व
ग्रंथों के मुताबिक जो लोग पूरे पौष महीने में भगवान का ध्यान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उसकी पूर्णता पौष पूर्णिमा के स्नान से हो जाती है। यानी इस पर्व पर तीर्थ स्नान और दान से पुण्य का पूरा फल मिलता है। इस पर्व पर किए गए पुण्य का फल कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन काशी, प्रयाग और हरिद्वार में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। वहीं, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रहने वाली जनजातियां पौष पूर्णिमा के दिन छेरता पर्व मनाती हैं।
क्या करें इस दिन
पौष माह की पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। इसके बाद पूरे दिन व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। फिर किसी तीर्थ पर जाकर नदी की पूजा करनी चाहिए। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर पर स्नान करने का महत्व बताया गया है। नदी पूजा और स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
इंद्र योग – 06 जनवरी , सुबह 08.11 – 07 जनवरी , सुबह 08.55
ब्रह्म योग – 05 जनवरी , सुबह 07.34 – 06 जनवरी , सुबह 08.11
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 12.14 – सुबह 06.38 (7 जनवरी )
रिपोर्ट – श्वेता सिंह