NTPC, देश की नवरत्न कंपनी एनटीपीसी के साथ पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की उपस्थिति में अनपरा- ई और ओबरा डी के मामले में 800 व 800 मेगावाट की दो इकाइयों का एमओयू किया गया. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम जो उत्तर प्रदेश सार्वजनिक क्षेत्र की राज्य बेस कंपनी है उसने इन दोनों परियोजनाओं को खुद लगाए जाने के लिए एनटीपीसी को डीपीआर बनाने के लिए कंसलटेंट के रूप में रखा था.
इसमें खेल सामने आ रहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने जिसे कंसलटेंट रखा हुआ है अब मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए उसने ही एमओयू कर लिया. इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग उठने लगी है.
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग में तमाम काले कारनामे सामने आते ही रहते हैं. अब एक नया मामला सामने आ रहा है. कहा जा रहा है कि यह इंसाइडर ट्रेडिंग का बडा मामला है जिसे आम जनता की भाषा में भेदिया व्यापार या गुप्त व्यापार कहा जाता है. एनटीपीसी जैसी नामी-गिरामी कंपनी ने बिना पावर परचेज एग्रीमेंट किए एमओयू कर लिया
जबकि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) ने वर्ष 2019 में ही अपने एक निर्णय में यह फैसला सुना रखा है कि उत्तर प्रदेश में 2027 तक कोई भी थर्मल पावर प्रोजेक्ट (Thermal Power Project) लगाने की आवश्यकता नहीं है. जो भी पावर परचेज एग्रीमेंट (Power Purchase Agreement) कोल बेस किए गए हैं वह 2027 तक के लिए पूरी तरह मांग के अनुरूप पर्याप्त हैं, फिर ऐसे में एनटीपीसी ने एएमयू कैसे कर लिया, ये बड़ा सवाल है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी को पता है कि राज्य सेक्टर की उत्पादन इकाई उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम (State Power Generation Corporation) यदि इन दोनों पावर हाउस को लगाएगी तो उससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को सस्ती बिजली उपलब्ध होगी. इसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को व्यापक रूप से मिलेगा.
वर्तमान में केवल दो प्रतिशत रिटर्न ऑफ एक्युटी यानी लाभ पर काम करने वाली उत्पादन निगम प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए रुपया 2.50 से रुपया तीन प्रति यूनिट तक की बिजली पैदा कर रहा है, जो बहुत ही सस्ती बिजली है. आने वाले समय में यदि एनटीपीसी इस प्रोजेक्ट को आगे बढाएगा तो निश्चित तौर पर पांच रुपए प्रति यूनिट के ऊपर यह बिजली प्रदेश को उपलब्ध होगी.
ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बहुत बडा घाटे का सौदा है. सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि अनपरा-ई और ओबरा- डी कोल खदानों के मुहाने पर खडा है. जहां पानी की उपलब्धता है. ऐसे लाभकारी प्रोजेक्ट को कोई भी सरकार दूसरे संस्थान को कैसे दे सकती है?
जिस एनटीपीसी को उत्पादन निगम ने स्वयं का उत्पादन गृह लगाने के लिए कंसलटेट रख छोडा हो वही मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए आगे बढ गई. जो इंसाइडर ट्रेडिंग का बडा मामला है. ऐसे में इसके लिए उच्च स्तरीय जांच किए जाने की आवश्यकता है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जल्दबाजी में जिन्होंने भी यहां एमओयू किया है जनहित में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.