Shravan Kumar in Kaliyuga: इस विशेषण का इस्तेमाल इसलिए क्योंकि त्रेता युग के सपूत श्रवण कुमार की माता-पिता के प्रति भक्ति को आज भी मिसाल माना जाता है। अपनी बूढ़ी मां को बजाज चेतक स्कूटर से लेकर 62000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर वाराणसी पहुंचे दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार औप उनकी माता चूड़ा रत्नम का नागरिक अभिनंदन किया गया।
वाराणसी के तुलसी घाट के तुलसी मंदिर में अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र ने दोनों का अभिनंदन किया। कलयुग के श्रवण कुमार जो अपनी मां को भारतवर्ष के मंदिरों में दर्शन पूजन कराने के उद्देश्य लेकर 2020 में कर्नाटक के मैसूर से सितंबर में यात्रा शुरू की और पहले चरण में देश के सभी भागों भूटान, नेपाल अरुणाचल प्रदेश मय्मार आदि प्रदेशों में भ्रमण करने बाद चित्रकूट होते हुए रविवार को बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी पहुंचे।
वाराणसी पहुंचने पर सोमवार को तुलसी घाट पर उनका नागरिक अभिनंदन किया गया महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने उनका माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम कर स्वागत किया। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा कि मां के लिए समर्पित ऐसे पुत्र का नागरिक अभिनंदन होना ही चाहिए इससे समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा और आज की युवा पीढ़ी भी अपने मां-बाप की इसी तरह से सेवा करेगी।
दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार ने बताया कि वह अपने पिता द्वारा उपहार में मिली बजाज चेतक स्कूटर पर अपनी मां को बैठा कर भारत के विभिन्न मंदिरों का दर्शन पूजन करा रहे हैं। कृष्ण बताते हैं कि उनकी यही इच्छा है कि उनकी मां देश के सभी मंदिरों में दर्शन पूजन करें।
कार्यक्रम के संयोजक रामयश मिश्र ने कहा कि कलयुग के श्रवण कुमार का नागरिक अभिनंदन कर आज बहुत ही सुखद एहसास हुआ। कलयुग में तरफ जहां लोग अपने मां-बाप के लिये समय नहीं निकाल पा रहे हैं वही एक ऐसा पुत्र जो अपनी मां के लिए एक अच्छी खासी नौकरी छोड़कर उन्हें स्कूटर पर बैठाकर भारत भ्रमण पर निकला है ऐसे श्रवण कुमार का आज काशी में स्वागत हुआ।