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  • November 21, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

UP Vehicle Fitness Certificate: RTO के चक्कर काटकर परेशान हो रही आवाम, कंपनियों के टेंडर पर रार, वाहन स्वामी हलकान

UP Vehicle Fitness Certificate: RTO के चक्कर काटकर परेशान हो रही आवाम, कंपनियों के टेंडर पर रार, वाहन स्वामी हलकान

UP Vehicle Fitness Certificate: ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय के इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर पर वाहनों की फिटनेस होती है, लेकिन इन दिनों वाहन स्वामियों को अपने वाहन की फिटनेस हासिल करने में बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। इसकी वजह है दो कंपनियों की आपसी रार। पहले जिस कंपनी के पास फिटनेस का टेंडर था इस बार उसे टेंडर हासिल नहीं हुआ, लेकिन मेंटेनेंस का काम उसी कंपनी के पास रहा, जबकि जिस कंपनी ने टेंडर हथियाया उसे अब मेंटेनेंस के चक्कर में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारी वाहन स्वामियों की दिक्कत दूर करने के बजाए सिर्फ तसल्ली दे रहे हैं।

फिटनेस सेंटर पर प्रतिदिन 200 छोटे-बड़े वाहनों का टाइम स्लॉट है। इन वाहनों को विभिन्न परीक्षणों से गुजरने के बाद पास होने पर फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल होता है। अगर वाहन में किसी तरह की कोई तकनीकी दिक्कत है तो मशीन अनफिट घोषित कर देती है, लेकिन वाहन स्वामियों को फिटनेस में पास या फेल करने वाली मशीनें इन दिनों खुद ही अनफिट हो गई हैं। कारण है कि पहले जिस कंपनी के पास वाहनों की फिटनेस से लेकर मेंटेनेंस तक का पूरा काम था वह अपनी मशीनों की कमियों को तत्काल दुरुस्त कर लेती थी, लेकिन अब जिस कंपनी के पास टेंडर है उसके पास मेंटेनेंस का ठेका नहीं है सिर्फ निरीक्षण का हीं कार्य है। ऐसे में अगर मशीन में किसी तरह की जरा सी समस्या होती है तो सारा काम चौपट हो जाता है। मशीनों की समस्या दूर करने में कई दिन लग जाते हैं। इसके चलते वाहन स्वामियों को बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। इससे उनके समय के साथ ही पैसे की बर्बादी होती है। वाहन स्वामियों की दिक्कतों में और भी ज्यादा इजाफा हो गया है। इन दिनों आधे से भी कम वाहनों के फिटनेस हो पा रही है।

ये है आपसी विवाद का कारण

मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज की तरफ से आईएनसी सेंटर चलाने को पहले दो साल के लिए रोजमार्टा कंपनी को टेंडर दिया गया था। बाद में दो बार छह छह माह के लिए टेंडर की अवधि बढ़ाई गई। कुल तीन साल तक कंपनी ने वाहनों की फिटनेस की। इसके अलावा इसी कंपनी को पांच साल तक मशीनों के मेंटेनेंस और सॉफ्टवेयर का ठेका दिया गया था। अब तीन साल पूरा होने के बाद रोजमार्टा कंपनी को दूसरी बार फिटनेस का टेंडर नहीं मिला। श्री हरि फिलिंग स्टेशन नाम की फर्म को इस बार वाहनों के परीक्षण का टेंडर हासिल हुआ, लेकिन वाहनों के मेंटेनेंस का अभी भी दो साल तक ठेका रोजमार्टा कंपनी के पास ही है। ऐसे में जब परीक्षण का ठेका छिन गया तो ये कंपनी मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी होने के बाद नई कंपनी को सहयोग नहीं कर रही है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ रहा है। उनके वाहनों के फिटनेस में तमाम दिक्कतें आ रही हैं। कभी किसी लेन की मशीन में तकनीकी खराबी आ जाती है तो फिटनेस नहीं हो पाती है तो कभी किसी तरह की और तकनीकी समस्या के चलते वाहन स्वामी पिस रहे हैं।

वाहन स्वामियों ने लगाए गंभीर आरोप

अपने वाहनों को फेल होने के बाद दोबारा फिटनेस कराने फिटनेस सेंटर पहुंचे वाहन स्वामियों ने अपना दर्द बयां किया, साथ ही फिटनेस करने वाली कंपनी पर भी गंभीर आरोप लगाए। कहा कि बिना पैसे के कोई काम होता ही नहीं है। बेवजह ही वाहनों को फेल कर दिया जाता है। जब दूसरी बार लाओ, पैसे दो तो वाहन पास हो जाता है। एक वाहन स्वामी ने आरोप लगाया कि खेल कुछ इस तरह का भी हो रहा है कि जो प्रिंट दिया जा रहा है उसमें वाहन पास दिखाई देता है लेकिन जो मैसेज आ रहा है वह फेल का। पता ही नहीं चलता है कि वाहन पास हुआ है या फेल। वाहन स्वामियों का यह भी आरोप है कि पहले जिस दिन वाहन की फिटनेस होती थी उसी शाम को पता चल जाता था कि गाड़ी पास हुई है या फेल, लेकिन अब वाहन के पास फेल की रिपोर्ट बताई नहीं जाती। सेटिंग करने के लिए ऐसा किया जाता है।

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