Varanasi, मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में भगत सिंह के शहादत दिवस पर आर.के नेत्रालय वाराणसी में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन कृपाल कुमार पाण्डेय ने किया.
दो मिनट का मौन रखकर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. संचालन भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर गए।
अपने विचार व्यक्त करते हुए मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा 23 मार्च यानि, देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है।
उन्होंने आगे कहा कि, उन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं।
भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी। आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है। बम फेंकने के बाद भगतसिंह द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था।