कला और अभिनय की दुनिया में फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दरअसल, इस संस्था के गौरवशाली अतीत से नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी और अमिताभ बच्चन सरीखे नायकों का नाम जुड़ा है। महाराष्ट्र के पुणे में शुरू हुई इस संस्था का एक कैंपस पूर्वोत्तर भारत में सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान नाम से संचालित है। भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में एफटीआईई कैंपस की शुरुआत की थी। इसमें कोर्स की शुरुआत यूं तो करीब 88 महीने पहले (मार्च, 2017 में) ही हो चुकी है, लेकिन आज बात कुछ खास है।
खास इसलिए क्योंकि पूरब से निकले एक होनहार कलाकार को एक ऐसे संस्थान में शामिल होने का सुनहरा अवसर मिला है, जिसके इतिहास से भारतीय फिल्म-टीवी इंडस्ट्री की नायाब हस्तियों के नाम जुड़े हैं। ये कामयाबी मिली है वाराणसी के एक सितारे को। जिस काशी की पृष्ठभूमि पर आधारित बॉलीवुड फिल्म- काशी का अस्सी बन चुकी हो, उसी सिल्वर स्क्रीन पर 80 महीने से अधिक समय बात काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का पूर्व छात्र दस्तक दे रहा है।
हम बात कर रहे हैं बीएचयू अल्युमनाई अनिल विश्नोई की। एफटीआई अरुणाचल प्रदेश में चयन के बाद अनिल ने बताया कि उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर चौथी रैंक हासिल की है। बीएचयू का पूर्व छात्र होने का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अब एफटीआई से जुड़ने वाले हैं, जिसे लेकर वे काफी उत्साहित और गौरवान्वित हैं। यहां के पूर्व छात्र अभिनय और कला जगत में बतौर कलाकार-निर्माता-निर्देशक आला मुकाम हासिल कर चुके हैं। ऐसे में अरुणाचल कैंपस के डिपार्टमेंट ऑफ स्क्रीन एक्टिंग में चयन के बाद उन्हें भी आने वाले समय में करियर की नई उड़ान शुरू होने का यकीन है।
अनिल की कहानी को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि कला जगत में बनारस की गलियों से निकले एक और युवा की दस्तक का एहसास अभी से ही होने लगा है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अनिल जैसे सितारे को देखकर पूरब के ऐसे और उभरते युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।