Purushotam maas katha, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने चातुर्मास्य प्रवचन में कहा कि ज्ञान एक प्रवाह है जो गुरु के मुख से सत्शिष्य के हृदय में प्रवाहित होता है। विनम्र बनने पर ज्ञान सहज में उपलब्ध हो जाता है। जो अभिमानी होता है उसे ज्ञान नहीं मिल पाता है।
उन्होंने आगे कहा कि सुख और दुःख दोनों आपस में एक-दूसरे से मिले हुए हैं। इसी कारण एक के आने पर दूसरा नहीं रहता और दूसरे के आने पर पहला नहीं रहता। दोनों की जोडी बनी हुई है। यदि हमें आनन्द प्राप्त करना है तो इन दोनों से ऊपर उठना होगा।
फग्गन सिंह कुलस्ते ने किया शङ्कराचार्य का दर्शन
आज चातुर्मास्य के मंच पर केन्द्रीय इस्पात मन्त्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते जी ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य जी महाराज के दर्शन के लिए पहुँचे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जी महाराज का मैं शिष्य हूं और अक्सर मुझे इस क्षेत्र में आने का सुअवसर प्राप्त होता रहा है। हमें पूर्ण विश्वास है कि उनके ही जैसा प्रेम और वात्सल्य हमें वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जी महाराज से भी प्राप्त होगा। मैं इनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हूं और इनको सदा सुनता रहता हूं। धर्म के प्रति इनके समर्पण व निष्ठा को मैं नमन करता हूं।
पूज्य शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व , आज की श्रीमद् भागवत कथा के यजमान एवं पादुका पूजन करने का सौभाग्य , श्री गोविंद जी तिवारी श्री अशोक जी कसेरा बारहबड़ा को मिला,मंच पर प्रमुख रूप से, शंकराचार्य महाराज की निजी सचिव चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी, ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी, गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री जी, ब्रह्मचारी निर्विकल्पस्वरूप जी* आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संयोजन श्री अरविन्द मिश्र एवं संचालन ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी ने किया, परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदर पांडे ।
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कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित आनंद तिवारी अन्नू भैया,पंडित सुनील शर्मा सोहन तिवारी माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारी पंडित आनंद उपाध्याय बद्री चौकसे नारायण गुप्ता ,आशीष तिवारी प्रेम नारायण पाराशर अरविन्दपटैल ,अशोकपटैल ,नवलपटैल ,प्रहलादपटैल ,केदारनाथ गर्ग , राजाराम पटेल मनोज यादव कपिल नायक सहित बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही हैै भागवत कथा आरती के उपरांत प्रसाद का वितरण किया गया