वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर रोक बढ़ा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की शाम तक सर्वे पर रोक लगाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखते हुए गुरुवार को फिर सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बुलाया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुबह से दोपहर एक बजे और फिर साढ़े चार बजे दोबारा सुनवाई की। एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर ने कोर्ट में हलफनामा दिया है कि जो भी काम करेंगे उससे कोई नुकसान नहीं होगा। हलफनामे पर प्रतिक्रिया देने के लिए मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से समय मांगा तो हाईकोर्ट ने कल तक के लिए सुनवाई टाल दी है।
कोर्ट में दोपहर एक बजे तक सुनवाई के बाद 4.44 बजे दोबारा सुनवाई शुरू हुई। एएसआई अधिकारी आलोक त्रिपाठी हाईकोर्ट पहुंचे। चीफ जस्टिस ने पूछा कि रडार क्या करता है, फोटो कैसे लेंगे, जीपीआरएस से क्या करेंगे। एएसआई अधिकारी ने बताया कि रडार से स्थान से संबंधित प्रॉपर्टी रिकार्ड की जाती है। एक छोटी मशीन से सैंपल लिए जाते हैं, जिनके बारे में फिर विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार करते हैं। फोटोग्राफी में क्लोज अप व अन्य फ़ोटो लेते हैं, जीपीएस से स्थान की लंबाई चौड़ाई पता करते हैं।
हाईकोर्ट ने एएसआई से यह भी पूछा अब तक कितना सर्वे कर चुके हैं। इस पर एएसजीआई ने बताया कि अभी केवल पांच परसेंट सर्वे हुआ है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि कितना टाइम लगेगा। एएसजीआई ने बताया कि 31 तक पूर्ण कर लेंगे।
एएसआई ने कहा कि स्ट्रक्चर हटाने की अनुमति रूल्स में नहीं है। सर्वे में आईआईटी कानपुर के जियो फिजिक्स के रिसर्च स्कॉलर वर्क कर रहे हैं। पूरा सर्वे नॉन डिस्ट्रक्टिव तरीके से किया जाएगा। सर्वे का जो भी कार्य होगा, न्यायालय के आदेश के मुताबिक ही होगा। किसी दीवार, किसी खंभे या किसी भी हिस्से को किसी प्रकार की क्षति नहीं होने दी जाएगी। इस बीच नकवी उठ गए और बोले कोई अर्जेंसी नहीं। इस पर कोर्ट ने कहा कि वे साक्ष्य इकट्ठा कर रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई कल शाम साढ़े तीन बजे तक के लिए टालते हुए सर्वे पर रोक भी बरकरार रखने का आदेश दिया। वहां मौजूद एएसआई से कहा कि वाराणसी की टीम को बता दीजिए कि अभी सर्वे न करे।
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वहीं, हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि माडर्न तकनीक से स्ट्रक्चर की बिना किसी नुकसान के जांच हो सकती है। विष्णु जैन ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अनुच्छेद 227 या धारा 115 में हाईकोर्ट में याचिका की जाए। ब्रीदिंग टाइम दिया जाए ताकि याची हाईकोर्ट जा सके। मेरिट पर कोई राय नहीं व्यक्त की है। जस्टिस जेजे मुनीर के फैसले के खिलाफ एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।