Bharat Ratna Mahamana पंडित मदन मोहन मालवीय की जीवनी प्रो. मंजीत चतुर्वेदी की लेखनी से जीवंत हो उठती हैं। मालवीय से जुड़ी स्मृतियां और संघर्ष आज दशकों बाद भी भावुक करते हैं। महामना मालवीय की संघर्ष यात्रा देख नई पीढ़ी नतमस्तक हो जाती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के स्वतंत्रता भवन में शनिवार को महामना पर केंद्रित नाटक का मंचन किया गया। कैमरे की नजरों से अमन आलम ने महामना की लाइफ के कई ऐसे लम्हों को हमेशा के लिए अमर कर दिया, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगी। देखिए कुछ ऐसी ही जीवंत तस्वीरें-
बीएचयू में स्वतंत्रता भवन में ‘महामना धारा के विरुद्ध समय के साथ’ टाइटल वाले नाटक के मंचन की शुरुआत के दौरान अधिकांश विद्यार्थी मनोरंजन और मस्ती के मूड में नजर आ रहे थे, लेकिन शुरुआती दृश्यों में महामना के पिता की भूमिका निभाने वाले किरदार ने इतनी जीवंत भूमिका निभाई कि महामना के व्यक्तित्व का जादू युवा पीढ़ी पर चल पड़ा।
नाटक में महामना का जीवन दर्शन, सनातन संस्कृति के प्रति उनकी सोच, बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प, उनकी संघर्ष की गाथा देख छात्रों की चंचलता गायब होती गई। नाटक के दृश्यों में जब-जब महामना ने गुलामी की जंजीरें तोड़ने को हुंकार भरी, तब दर्शक दीर्घा में भारत माता का जयकारा लगा। वंदे मातरम की गूंज सुनी गई।
बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. मंजीत चतुर्वेदी इस नाटक के लेखक हैं। नाटक का पटाक्षेप के बाद छात्रों, तमाम दर्शकों और युवाओं की आंखों में आंसू तैरते दिखे। अंग्रेजी विभाग के शोध छात्र रवि कुमार राय ने नाटक का निर्देशन किया।
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