Manipur:मणिपुर में बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग काफी बढ़ गई है. इसका दाम तीन हजार से साढ़े तीन हजार रूपये के बीच है. दो समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा को तीन महीने से अधिक का समय हो गया है. हालांकि, अब वहां हो रही हिंसा में कमी देखने को मिल रही है. इस बीच सरकार की विफलता की दास्तान बन चुके मणिपुर में अब बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग बढ़ गई है. जहां पहले एक महीने में दो से ज्यादा बुलेट प्रूफ नहीं बिकती थी, वहां अब 30 से 50 जैकेट बिक रही हैं.
आलम यह है कि लोग बड़ी संख्या में जैकेट का आर्डर दे रहे हैं. लगातार मिल रहे ऑर्डर को लेकर स्थानीय दुकानदार ने एबीपी से कहा, ‘हम पहले बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं बेचते थे, लेकिन जब से ये समस्या हुई है तब से हमने इसे बेचना शुरू कर दिया है.’ उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब हमारे पास इसकी इतनी डिमांड आ रही है. बहुत लोग इसे खरीदने आ रहे हैं. इसलिए कपड़ो के साथ हम इसे भी रख रहे हैं.
बड़ी तादाद में जैकेट खरीद रहे हैं लोग
दुकानदार ने बताया कि पहले वह दुकान पर इसके सिर्फ 20-30 पीस ही रखे थे, लेकिन इस समय हालत यह है कि जो ग्राहक इसे खरीदने आ रहें हैं, वे एक बार में 15 से 20 जैकेट खरीद के ले जा रहे हैं. बिक्री को देखते हुए हमने अब अलग-अलग डिजाइन की जैकेट मांगना शुरू कर दिया है. साथ ही अब हम ज्यादा आर्डर कर रहे हैं.
कितनी है जैकेट की कीमत?
वहीं, एक अन्य दुकानदार ने बताया कि लोग इन जैकेटों को ग्रुप में खरीद रहे हैं. वह 30 से ज्यादा पीस बेच रहे हैं. इसका दाम तीन हजार से साढ़े तीन हजार रूपये के बीच है पर अगर आर्डर ज्यादा है, तो हम दाम तीन हजार से भी कम कर देते हैं. उन्होंने बताया कि जैकेट को खरीदने वालों की उम्र 18 से 30 साल के बीच है.
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लोगों की रक्षा करती है जैकेट
एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘ जब हम अपने साथियों की मदद के लिए हिंसाग्रस्त इलाके में जाते हैं, तो ये हमारी रक्षा करती है. ये काफी आरामदायक है और हम इसे पहन कर अच्छा महसूस करते हैं. मैं दूर रहता हूं और कई बार फ्रंटलाइन पर आ जाता हूं. ऐसे में यह मेरे लिए बेहद जरूरी हो जाती है.’
जैकेट में नहीं होती बुलेट प्रूफ प्लेट
बता दें कि बुलेट प्रूफ जैकेट भी अलग-अलग तरह की होती है. यह हर उम्र और लड़ाई के लिए अलग होती है. साथ ही इसकी आर्मर प्लेट में भी अंतर होता है. इसके अलावा इसका वजन भी जरूरत के हिसाब से बदलता रहता है. गौरतलब है कि इस जैकेट में बुलेट प्रूफ प्लेट नहीं होती है. इसके बावजूद यह गोली के वार को सीने तक नहीं पहुंचने देती है.