सोशल मीडिया पर दिल्ली मेट्रो में एक माइक्रो मिनी स्कर्ट और ब्रा पहने लड़की की वीडियो वायरल हो रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये लड़की 19 साल की है जिसका नाम रिद्म चनाना है. वायरल मेट्रो गर्ल के नाम से जानी जाने वाली ये लड़की सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना कर रही है. दरअसल, कुछ दिन पहले एनसीएमइंडिया काउंसिल फॉर मेन अफेयर्स के नाम से जाने जाने वाले एक ट्विटर हैंडल ने एक लड़की का वीडियो पोस्ट किया था, जिसके बाद वह ट्रेंड करने लगी. वीडियो में दिल्ली मेट्रो में एक कोच के अंदर दूसरी महिला यात्रियों के बगल में एक लड़की को बैठे देखा जा सकता है.
वायरल होने के बाद से ही लगातार लड़की के अजीबोगरीब ड्रेसिंग सेंस पर एक लंबी बहस छिड़ गई है. जहां कुछ लोग लड़की को दोषी बता रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं उस व्यक्ति को दोषी ठहरा रहे हैं जिसने उसकी तस्वीर ली है. दिल्ली मेट्रो में इस तरह के कपड़े पहने जाने के दो अलग-अलग उदाहरण सोशल मीडिया पर रिपोर्ट किए गए हैं, जिससे “अश्लीलता” और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छिड़ गई है. यहां हम दोनों ही कानूनों पर बात करने वाले हैं.
भारतीय दंड संहिता की धारा 292 अश्लील सामग्री की बिक्री/वितरण/प्रकाशन पर रोक लगाती है. आईपीसी के अनुसार, “एक पुस्तक, पैम्फलेट, कागज, लेखन, ड्राइंग, पेंटिंग, रिप्रजेंटेशन, फिगर या कोई अन्य वस्तु, अश्लील मानी जाएगी अगर वह कामुक है या समाज पर उसका नेगेटिव प्रभाव पड़ रहा है.
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मेट्रो गर्ल के मामले में आईपीसी की धारा 294 पर बात की जा रही है. जिसमें “अश्लील कृत्यों और गीतों” के लिए सजा निर्धारित होती है. इसमें कहा गया है, “जो कोई भी, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कार्य करता है या किसी भी सार्वजनिक स्थान में कोई भी अश्लील गीत, गाथागीत या शब्द बोलता है, तो उसे इसके लिए कुछ समय के लिए जेल की सजा हो सकती है. इस सजा को तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना भी लगाया जा सकता है.”