एक विधवा के मृतक के छोटे भाई से पुनर्विवाह करने के चलते रद्द की गई फैमिली पेंशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ ने याची के पक्ष में फैसला सुनाया है. अदालत ने फैसले में कहा कि एक विधवा जो मृतक के छोटे भाई से पुनर्विवाह कर सम्मान जीवन व्यतीत करती है, वह पूरी तरह से परिवार पेंशन की हकदार है.
यह मामला रोपड़ जिले की रहने वाली कश्मीर कौर की है जो कैट में याचिका दायर करते हुए चंडीगढ़ मंडल के वरिष्ठ डाकघर आदेश को रद्द करने की दरखास्त की थी, जिसमें विभाग ने परिवार पेंशन की वसूली का आदेश दिया था. विभाग ने फैमिली पेंशन रोकने के साथ ही महिला के दोबारा शादी करने को आधार बनाते हुए उसके पेंशन की वसूली करने के लिए आदेश दिए थे.
उन्होंने अपनी दरखास्त में अदालत को बताया कि उनके पति राज कुमार बतौर वर्क मैन काम कर रहे थे. उनका निधन हो गया था और युवती ने वर्ष 1992 में राज कुमार के छोटे भाई मोहन लाल से शादी की थी. जिसके बाद एक व्यक्ति ने बाद में शिकायत की कि उसने दूसरी शादी कर ली है, पूछताछ के बाद उनकी फैमिली पेंशन रोक दी गई. उसे विभाग द्वारा बताया गया कि उसकी पेंशन रोक दी गई है, क्योंकि उसका पुनर्विवाह हो गया है.
कैट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए डाकघर के वरिष्ठ अधीक्षक के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता की दूसरी शादी को आधार बना विभाग की ओर से विधवा की फैमिली पेंशन को रोक दिया गया था है. कैट ने डाक विभाग को उसकी पारिवारिक पेंशन बहाल करने और बकाया राशि दो महीने के भीतर जारी करने का भी निर्देश दिया है