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  • November 22, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

जलियांवाला बाग में तांडव के 8 साल बाद John Saunders को क्रांतिवीरों ने आज ही के दिन किया था ढेर

जलियांवाला बाग में तांडव के 8 साल बाद John Saunders को क्रांतिवीरों ने आज ही के दिन किया था ढेर

जलियांवाला बाग का जिक्र होते ही रोम-रोम सिहर उठता है। मां भारती के शुभ्र आंचल को जब ब्रिटिश हुकूमत अपने बूट से कुचल रही थी, उसी समय हजारों-लाखों की संख्या में इस धरती की कोख से जन्मे बेटे अंग्रेजों को खदेड़ने की रणनीति बना रहे थे। अंग्रेज सरकार दमन और दरिंदरगी की सीमाओं को लांघती जा रही थी। इसी की मिसाल जलियांवाला बाग हत्याकांड है। इसका जिक्र इसलिए क्योंकि इस नृशंस वारदात के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अंग्रेज अफसर और पूरी हुकूमत को सबक सिखाया था। भले ही सांडर्स क्रांतिवीरों के निशाने पर नहीं थे, लेकिन शीर्ष अंग्रेज अधिकारी की हत्या से आजादी की लड़ाई को नई दिशा और ऊर्जा दोनों मिली थी।

John Saunders ने खुद चुनी मौत !

दरअसल, पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के मौके पर जब हजारों की संख्या में लोग एक जलसे में जमा हुए तो ब्रिटिश शासन ने दमन का फैसला लिया। जनरल डायर के आदेश पर अंग्रेज सिपाहियों ने निहत्थे और मासूम भारतीय महिलाओं, बच्चों और आजादी के परवानों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। अंग्रेजों को लगा था कि इस निर्वीर्य कृत्य के बाद भारत की आजादी की मुहिम धीमी पड़ेगी या शायद क्रांति की ज्वाला पूरी तरह बुझ जाएगी, लेकिन उनका अनुमान गलत साबित हुआ। गोलियों से भूने गए भारतीयों के खून से लाल हुई धरती पर जब मां भारती के सपूत भगत सिंह 12 साल की आयु में पहुंचे तो उनके मन में प्रतिकार के भाव उमड़े। बचपन में ही भगत सिंह के मन में अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प का बीजारोपण हो गया। ऐसे में कहा जा सकता है कि जॉन सांडर्स जैसे अफसरों जिस तरह ताकत के नशे में चूर होकर मां भारती की निहत्थी संतानों पर अत्याचार किए, ऐसी हरकतें खुद अपनी मौत को चुनने या मृत्यु को आमंत्रित करने से कम नहीं।

John Saunders
इसी पिस्टल से हुई थी सांडर्स की हत्या (फोटो सौजन्य- ट्विटर @IndiaHistorypic

जलियांवाला बाग के 8 साल बाद…

असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन सांडर्स और जलियांवाला बाग के बीच लिंक से अलग एक घटना और हुई, जिसके बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने सांडर्स को ढेर करने की कसम खाई। साइमन कमीशन का विरोध कर रहे लाला लाजपत राय समेत आजादी के सैकड़ों परवानों पर जब अंग्रेज सिपाहियों ने लाठीचार्ज किया तो क्रांतिकारियों ने उस समय के पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मौत की नींद सुलाने का फैसला लिया। क्रांतिकारियों के निशाने पर सांडर्स नहीं थे, लेकिन गलत पहचान के कारण वे क्रांतिकारियों की गोली का शिकार हुए। जलियांवाला बाग हत्याकांड के करीब 8 साल बाद 17 दिसंबर 1927 के दिन भगत सिंह और राजगुरु ने John Saunders को मौत की नींद सुला दिया। इस काम में दोनों को स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले चंद्रशेखर आजाद और सुखदेव सरीखे कांतिवीरों का भी सहयोग मिला।

सांडर्स की मौत निर्णायक मोड़ वाली घटना

भारत की आजादी से 20 साल पहले हुई ये घटना निर्णायक मानी जाती है। कई इतिहासकारों ने लिखा है कि 1857 की क्रांति के बाद 1927 में सांडर्स की हत्या से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष कर रहे आजादी के परवानों को नई ऊर्जा मिली। भले ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी के फंदे पर झूलना पड़ा, लेकिन उन्होंने ऐसी क्रांति का सूत्रपात किया जो क्रांति कथानकों के साथा-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करता रहेगा।

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