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  • September 8, 2024
  • Last Update August 15, 2024 9:49 am
  • Noida

किडनी बेचने अस्पताल पहुंचा नाबालिग बेटा, मां के टूटे पैरों का कराना था इलाज

किडनी बेचने अस्पताल पहुंचा नाबालिग बेटा, मां के टूटे पैरों का कराना था इलाज

बिहार के गया जिले का एक नाबालिग लड़का अपनी मां को खुद से भी ज्यादा प्यार करता है, उनकी परवाह करता है. जब इस नाबालिग की मां बीमार हुईं तो उसके इलाज के लिए नाबालिग के पास पैसे नहीं थे. पिता दुनिया में नहीं हैं. घर में कमाने वाला भी कोई नहीं है. ऐसे में नाबालिग करता भी तो क्या करता. वह अपनी मां के इलाज के लिए किडनी बेचने रांची के एक अस्पताल में पहुंच गया और कस्टमर तलाश करने लगा.

इस दौरान उसे कस्टमर तो नहीं मिला, लेकिन एक शख्स जरूर मिल गया, जिसने उसकी मुलाकात रिम्स हॉस्पिटल के डॉ. विकास से करवा दी. डॉ. विकास ने नाबालिग से कहा कि वह अपनी मां को रिम्स लेकर आए, यहां उनका निशुल्क इलाज किया जाएगा.

जानकारी के अनुसार, गया जिले के रहने वाले नाबालिग दीपांशु के पिता की मौत हो चुकी है. उसकी मां ने उसकी परवरिश कर उसे बड़ा किया है. होश संभालते ही दीपांशु ने फैसला किया कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर अपनी मां का हाथ बंटाएगा. ऐसे में वह रांची चला आया और यहां एक होटल में काम करने लगा. यहां काम करने के दौरान वह अपनी मां का भी सहयोग करता था.

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अचानक कुछ दिन पहले दीपांशु को खबर मिली कि उसकी मां के पैर टूट गए हैं. उनके इलाज में पैसे लगेंगे. इसके बाद दीपांशु रांची के रिम्स के नजदीक स्थित एक प्राइवेट अस्पताल पहुंच गया और कहने लगा कि उसे अपनी किडनी बेचनी है, ताकि वह अपनी मां का इलाज करा सके. उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. अस्पताल का एक कर्मचारी रिम्स के डॉ. विकास को जानता था. डॉ. विकास सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा आगे रहते हैं. वे न्यूरो सर्जरी विभाग में हैं.

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