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  • July 27, 2024
  • Last Update July 25, 2024 2:05 pm
  • Noida

Navratri 2023 के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना, जानिए पूजा-विधि, प्रसाद और आरती

Navratri 2023 के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना, जानिए पूजा-विधि, प्रसाद और आरती

Navratri 2023 में भगवती दुर्गा के स्वरूपों की उपासना की जा रही है। नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना की जाती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा की उपासना करने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि माता के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

माता के स्कंदमाता स्वरूप और नाम को लेकर माना जाता है कि देवी देवों के सेनापति माने जाने वाले कार्तिकेय की मां हैं। श्रद्धालुओं की आस्था है कि माता के इस स्वरूप की उपासना से सद्कामनाएं पूरी होती हैं। माता स्कंदमाता के बारे में शास्त्रों और पुराणों में कई कहानियां मिलती हैं। काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में देवी की लीलाओं का विराट वर्णन मिलता है।

मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। देवी के स्वरूप के कारण इन्हें पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता की गोद में स्कंद देव को बैठे देखा जा सकता है। मां स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती और उमा नाम से भी जाना जाता है। सिंह पर विराजमान होने के कारण मां स्कंदमाता को सिंहवाहिनी नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि देवी की उपासना से संतान प्राप्ति होती है।

पूजा के तरीकों और सामग्री की बात करें तो मां को सफेद फूल अर्पित किया जाता है। मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा में श्वेत वस्त्र धारण करने की मान्यता भी है। माता के प्रसाद की बात करें, तो फलों में मां स्कंदमाता को केले का भोग बहुत प्रिय है। सफेद प्रसाद के विकल्प के तौर पर मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप को खीर का प्रसाद भी अर्पित किया जा सकता है।

मां स्कंदमाता के पूजनविधि की बात करें तो स्नान और नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। स्नान के बाद पुष्प अर्पित करें। माता के श्रृंगार के लिए यथाशक्ति रोली-कुमकुम-चंदन-अलता-चूड़ी-बिंदी जैसी चीजें भी अर्पित की जा सकती हैं। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के भोग भी अर्पित किया जा सकता है। मां स्कंदमाता का ध्यान करने बाद दुर्गा आरती भी करनी चाहिए।

मां स्कंदमाता की आरती-

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

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