Roadways Officer, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) अजब-गजब कारनामों के चलते हमेशा ही चर्चा में बना रहता है. यहां पर अधिकारियों की मनमानी चलती है और नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है.
रायबरेली डिपो में तैनाती के दौरान जिस संविदाकर्मी की संविदा सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने समाप्त कर दी, पंचाट ने सुनवाई में उसे बहाली दे दी, लेकिन यह शर्त रखी कि तीन साल तक किसी भी कीमत पर रायबरेली डिपो में संविदा परिचालक को तैनाती नहीं दी जाएगी, लेकिन पंचाट के आदेशों को दरकिनार कर लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक ने रायबरेली डिपो में तैनाती दे दी.
दरअसल, मामला रायबरेली डिपो (Raebareli Depo) में तैनात रहे संविदा परिचालक दीपक बाजपेई से जुड़ा है. रायबरेली डिपो में तैनाती के दौरान दीपक बाजपेई को रायबरेली डिपो के तत्कालीन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अक्षय कुमार चौधरी ने समाप्त कर दी थी. संविदा समाप्त करने की वजह थी कि बस संचालन के बजाय संविदाकर्मी दीपक बाजपेई हड़ताल में शामिल हो गया था. इसके बाद दीपक बाजपेई कोर्ट चला गया.
कोर्ट ने निर्देशित किया कि पहले परिवहन निगम में जो आर्बिट्रेशन की व्यवस्था है उससे गुजर कर आएं. इसके बाद आर्बिट्रेशन में अपना पक्ष रखने का दीपक को मौका दिया गया. समिति ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद संविदा कर्मी दीपक बाजपेई को बहाली दे दी. हालांकि समिति ने शर्त रखी कि अगले तीन साल तक किसी भी कीमत पर रायबरेली डिपो में संविदा कर्मी दीपक को तैनाती नहीं दी जाएगी.
मामला मार्च 2022 का है, लेकिन कुछ माह ही गुजरे और लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर ने दीपक बाजपेई को रायबरेली डिपो में ही तैनाती भी दे दी. इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल ये कि जब पंचाट में शामिल पांच अधिकारियों ने यह फैसला लिया था कि तीन साल तक रायबरेली डिपो में तैनाती नहीं दी जाएगी तो क्षेत्रीय प्रबंधक ने पंचाट के नियमों को दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने स्तर पर फैसला कैसे ले लिया? यह पूरी तरह से आर्बिट्रेशन के नियमों का ही उल्लंघन है.
समिति में शामिल थे यह सदस्य
लखनऊ क्षेत्र की पंचाट समिति ने तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक स्वर्गीय पीके बोस शामिल थे. इसके अलावा सेवा प्रबंधक केके सिंह सदस्य के रूप में, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (वित्त) राजकुमार सदस्य के रूप में, सहायक विधि अधिकारी एमपी सिंह सदस्य के रूप में और सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (कार्मि) प्रसून लता सदस्य के रूप में शामिल थी. इसी समिति ने दीपक बाजपेई की बहाली को लेकर फैसला किया था, साथ ही यह भी कहा था कि किसी भी कीमत पर तीन साल तक रायबरेली डिपो में संविदा कर्मी की वापस तैनाती नहीं हो सकती है, लेकिन हाल ही में लखनऊ क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर ने पंचाट समिति के नियमों को तार-तार करते हुए रायबरेली डिपो में ही दीपक बाजपेई की तैनाती कर दी.
इस मामले में परिवहन निगम के अधिकारियों से पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार ही नहीं है. हालांकि अधिकारी यह मानते हैं कि पंचाट समिति के नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. यह पूरी तरह से गलत है. लिहाजा, लखनऊ क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक ने जो भी फैसला लिया है वह पंचाट समिति के खिलाफ है.