अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि देश के 127 सम्प्रदायों के साधु संत 4 दिनों के लिए काशी में जुटेंगे। सभी एक मंच से अपनी सनातन संस्कृति को संरक्षित करने और युवा पीढ़ी को जागरूक करने का आह्वान करेंगे।
2 से 5 नवंबर तक अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा संस्कृति संसद का आयोजन वाराणसी में किया जा रहा है। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) गोविन्द शर्मा ने कहा कि 2 नवम्बर को तीन संकल्पों के साथ 250 महामण्डलेश्वरों के द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ का रुद्राभिषेक किया जाएगा। अयोध्या में बलिदान हुए ज्ञात-अज्ञात सभी लोगों की आत्मा की को मोक्ष प्राप्त हो, राष्ट्र की एकता और अखण्डता अक्षुण्ण रहे और सनातन सापेक्ष सरकार की अगले आम चुनावों में वापसी हो, रुद्राभिषेक में ये तीन संकल्प लिए जायेंगे। काशी के मार्गदर्शन का अनुकरण हर सनातनधर्मी करता है। संस्कृति संसद के द्वारा काशी से पूरे विश्व को सनातन रक्षा का सन्देश दिया जायेगा।
काशी में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित 14 विद्वानों और काशी में विशिष्ट पहचान रखने वाले लोगों को आयोजन समिति का संरक्षक बनाया गया है। काशी के सभी समाजों और सामाजिक संगठनों को कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी तरह के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। सभी राष्ट्रभक्त सादर आमन्त्रित हैं।
काशी विद्वत परिषद् के संगठन मन्त्री प्रो विनय पाण्डेय ने कहा कि भारत के विश्व गुरु होने का कारण यहाँ की संस्कृति ही रही है। प्रकृति सनातन में सर्वोपरि है। हमारे यहाँ सनातन मूलक विकास की अवधारणा है। विश्वपटल पर सनातन के सन्देश को पहुँचाने के लिए संस्कृति संसद एक बेहतर मन्च सिद्ध होगा। काशी के सांस्कृतिक राजधानी होने के कारण पूरे विश्व को एक अच्छा सन्देश जायेगा ।
युवाओं को संस्कृति से जोड़ने के लिए युवा चेहरे के रूप में आयोजन समिति के सचिव सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि आजकल के युवाओं को विभिन्न प्रकार से भ्रमित किया जा रहा है। युवाओं को संस्कृति संसद के माध्यम से धर्म की सही जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इसलिए अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
2 से 5 नवम्बर तक अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के दूसरे दिन धर्म विमर्श का आयोजन किया जाएगा। इसमें सनातन धर्म को लेकर चल रहे विवाद और इसके पुनर्जागरण को लेकर सभी अपने विचारे रखेंगे।
संस्कृति संसद के तीसरे दिन यही 4 नवम्बर को मातृ विमर्श का आयोजन किया जाएगा सनातन धर्म में मातृ केंद्रित व्यवस्थाओं और वैश्विक सम्प्रदायों में नारी की स्थिति और स्त्री स्वतंत्रता पर विचार रखे जाएंगे। चौथे और अंतिम दिन युवा विमर्श का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें भारतीय युवा के जीवन मे धर्म की उपयोगिता और कला संस्कृति के नाम पर परोसी जा रही विकृति और इसे दूर करने के उपाय पर चिंतन किया जाएगा।