उत्तर प्रदेश की लड़ाई Supreme Court तक जा पहुंची है। NOIDA पावर कंपनी के भविष्य पर तलवार लटकती दिख रही है। ऐसा लगता है कि योगी सरकार 30 साल बाद बड़े बदलाव की तैयारी में है। दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्त्व याचिका दाखिल की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गौतमबुद्ध नगर में NOIDA और ग्रेटर नोएडा का क्षेत्र आता है जिसमें ग्रेटर नोएडा के पूरे क्षेत्र में निजी वितरण कंपनी NOIDA पावर कंपनी 1993 से काम कर रही है।
इसे टेकओवर करने के लिए पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर ऊर्जा विभाग ने उसे नोटिस भेजा जिस पर NOIDA पावर कंपनी ने अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल कर दिया।
इसके विरोध में कल उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जो स्वीकार हो गई है। अब मार्च में सुनवाई होनी है, ऐसे में जब उस क्षेत्र के एक भाग पर वितरण लाइसेंस के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है, ऐसे में उस क्षेत्र के किसी भाग पर लाइसेंस की याचिका पर कोई सुनवाई तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को निस्तारित न कर दिया जाए।
उपभोक्ता परिषद ने यह भी गंभीर मुद्दा उठाया कि उत्तर प्रदेश में NOIDA क्षेत्र से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है और वहां सबसे कम वितरण हानियां हैं। अनेकों सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी बड़े निजी घराने की याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती, ऐसे में एक बड़े ग्रुप की याचिका की स्वीकार्यता पर आयोग जब भी सुनवाई करे, उपभोक्ता परिषद को पक्षकार बनाए।
परिषद अध्यक्ष ने कहा एक तरफ बिजली दरों में भारी बढोतरी और एक तरफ देश के बडे निजी घराने का सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त वाले वाले क्षेत्र में वितरण लाइसेंस की मांग करना, उसकी टाइमिंग के पीछे बडी साजिश नजर आती है। विद्युत नियामक आयोग के सामने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेंडर की ऊंची दर का मामला पहले से ही विचाराधीन है ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में कार्रवाई को आगे बढाकर प्रदेश की जनता को लाभ देना चाहिए।