UP Transport Department की लापरवाही का खामियाजा वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ रहा है। वाहन स्वामी गाड़ी खरीदते हैं यूरो 4 मॉडल की, लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन यूरो 2 मॉडल में कर दिया जाता है। उन्हें यूरो 2 मॉडल के वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है।
नतीजा ये होता है कि वाहन स्वामियों को विभाग की गलती के चलते तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ आरटीओ कार्यालय समेत प्रदेश भर के आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय में विभागीय गलती की तमाम शिकायतें सामने आ रही हैं। परिवहन विभाग की ये छोटी सी गलती वाहन स्वामियों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन रही है।
जानकीपुरम निवासी आशीष आनंद ने यूरो 4 कार खरीदी थी, लेकिन आरसी पर यूरो 2 दर्ज कर दिया गया। आशीष के लिए विभाग की ये गलती जी का जंजाल बन गई। आरसी पर यूरो 2 दर्ज हो जाने से यूरो 4 गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिसेट (पीयूसी) बन नहीं पाया। उन्हें अपनी गाड़ी बेचनी है लेकिन बिना पीयूसी के वाहन की न तो फिटनेस हो सकती है और न ही वाहन का ट्रांसफर।
सड़क पर जब गाड़ी चलाने उतरते तो हजारों रुपए का प्रदूषण प्रमाण पत्र न होने के चलते चालान कटता रहा। इस गलती को सुधरवाने के लिए वे विभाग के चक्कर लगाते थक गए, लेकिन काम नहीं बना। जब उन्होंने सीनियर अधिकारियों की परिक्रमा की तब जाकर बमुश्किल उनका काम हो पाया।
सीतापुर निवासी आकाश गुप्ता का महिंद्रा बोलेरो पिकअप वाहन यूपी 34 एटी 1768 यूरो 4 मॉडल परिवहन विभाग और एनआईसी की गलती से यूरो 2 में दर्ज हो गया। लाख कोशिश के बाद अभी भी यह सही नहीं हो पाया। सीतापुर एआरटीओ कार्यालय में उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई। गलती सुधारने के लिए विभाग को एप्लीकेशन दी।
ढाई माह तक ये पत्र एआरटीओ कार्यालय, परिवहन विभाग मुख्यालय और नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर के बीच झूलता रहा। आकाश का आरोप है कि काम कराने के लिए दलाल भारी भरकम रकम मांग रहे हैं। थक हारकर आकाश ने परिवहन विभाग मुख्यालय पर अधिकारियों से संपर्क किया। अब जाकर ढाई माह बाद उनका काम हो पाया है। ये तो सिर्फ दो उदाहरण हैं।
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इस तरह की समस्या की परिवहन विभाग के 77 कार्यालयों में सैकड़ों शिकायतें दर्ज हैं। इसी तरह डाटा फीडिंग की गलतियों के तमाम मामले परिवहन विभाग के पास हैं लेकिन विभाग तत्काल समस्या के समाधान के बजाय वाहन स्वामियों को टहला रहा है।
परिवहन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता है। वाहन स्वामी की गलती न होने के बावजूद उसे दौड़भाग करनी पड़ती है, जो सही नहीं है। एनआईसी की तरफ से परिवहन विभाग के अधिकारी को स्टेट एडमिन बनाया गया है लेकिन काम में देरी लग रही है,
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क्योंकि स्टेट एडमिन के पास विभाग से संबंधित और भी काम होते हैं। ऐसे में स्टेट एडमिन के नीचे एक एआरटीओ स्तर के अधिकारी को होना चाहिए जो लगातार ऐसी शिकायतों के समाधान करे। किसी भी तरह की वाहन स्वामी की शिकायत का तीन दिन में निस्तारण हो जाना चाहिए।
क्या कहते हैं वाहन स्वामी
वाहन स्वामी आकाश गुप्ता का कहना है कि मेरी बीएस 4 गाड़ी को परिवहन विभाग में बीएस 2 में रजिस्टर्ड कर दिया गया। दो महीने से लगातार भागदौड़ कर रहे हैं लेकिन काम ही नहीं हो पा रहा है। गलती भी विभाग कर रहा है और दौड़ना भी वाहन स्वामी को ही पड़ रहा है। यह कहां से सही है।
विभाग की है गलती, जल्द हो संशोधन
लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ (लार्टस) के अध्यक्ष पंकज दीक्षित का कहना है कि यह गलती परिवहन विभाग और एनआईसी की है। उसकी गलती है इसके लिए हम गाड़ी मालिक क्यूं भुगतें। कर्मचारियों ने लापरवाही से यूरो 4 गाड़ियों को यूरो 2 में दर्ज कर लिया। अब यूरो 2 में चेंज नहीं हो पा रहा है इसके लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। ऐसे वाहन जल्द से जल्द वापस यूरो 4 में दर्ज होने चाहिए। वाहन स्वामी सड़क पर जो गाड़ी चलाएंगे तो पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न होने के चलते ₹10000 का जुर्माना हो जाएगा। बिना गाड़ी रजिस्टर्ड हुए पॉल्यूशन भी नहीं हो सकता, यह तकनीकी दिक्कत है। अपनी गलती के लिए वाहन स्वामियों को विभाग क्यों परेशान कर रहा है।
परिवहन विभाग में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मयंक ज्योति ने कहा, प्रदेश के आरटीओ कार्यालयों से इस तरह की शिकायतें आने पर उनका जल्द से जल्द समाधान करने का प्रयास किया जाता है। व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं। इस तरह की शिकायतें पूरी तरह से दूर कर दी जाएंगी। वाहन स्वामियों को किसी तरह की समस्या नहीं होगी।