Varanasi, अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) के बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की सदस्य, डॉ. मधुरा स्वामीनाथन ने वाराणसी स्थित संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) का भ्रमण किया।
डॉ. मधुरा स्वामीनाथन इर्री के भूतपूर्व निदेशक एवं “हरित क्रांति के जनक” डॉ. एम्.एस.स्वामीनाथन की पुत्री हैं एवं वर्तमान में बंगलुरु स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान के आर्थिक विश्लेषण इकाई में प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत हैं| उनके इस भ्रमण के दौरान डॉ. अजय कोहली, डीडीजी-अनुसंधान, इर्री भी उपस्थित रहे।
डॉ. सुधांशु सिंह, निदेशक,आइसार्क ने डॉ. स्वामीनाथन के समक्ष आइसार्क द्वारा दक्षिण एशिया एवं अफ्रीका में चल रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यों को प्रस्तुत करते हुए भविष्य की योजनाओ पर भी प्रकाश डाला। जिसपर डॉ. मधुरा ने केंद्र द्वारा किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हुए वैज्ञानिकों को चावल आधारित खाद्य प्रणाली के तहत किसानों की आय एवं पैदावार बढ़ाने हेतु आगे भी बेहतर कार्य करते रहने का सुझाव दिया।
साथ ही, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और उससे कृषि पर पड़े प्रभावों के समाधान हेतु वैज्ञानिकों से जलवायु प्रतिरोधी किस्मों के विकास पर भी विशेष कार्य करने हेतु जोर दिया।
डॉ. स्वामीनाथन ने आइसार्क में कार्यरत कर्मचारियों के साथ वार्ता करते हुए उनसे अपने अनुभव भी साझा किए।
इसके साथ ही, उन्होंने केंद्र में स्थित चावल मूल्यवर्धन हेतु क्रियाशील प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों द्वारा कालानमक एवं अन्य सुगंधित चावलों से तैयार किये जा रहे बिस्किट, म्युस्ली, पफ्ड राइस, आइसक्रीम आदि उत्पादों के बारे में भी जानकारी ली एवं फार्म क्षेत्र में स्थित शोध प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया।
Varanasi, G-20 को लेकर कमिश्नर एवं DM ने अधिकारियों संग किया स्थलीय निरीक्षण
चावल-आधारित मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्माण आदि से प्रभावित होकर इन उत्पादों के प्रचार एवं लोकप्रियता पर कार्य करने के लिए वैज्ञानिकों को सुझाव दिया| साथ ही, उन्होंने संस्थान के कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी को गरीबी और भूख उन्मूलन के साथ-साथ खाद्य-सुरक्षा एवं पोषण के साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकारी मिशनों के साथ गतिविधि को संरेखित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए डीडीजी-अनुसंधान डॉ. अजय कोहली ने भी दक्षिण एशिया में आईएसएआरसी द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे चावल उत्पादन के क्षेत्र में स्थापित चुनौतियों से निपटने और उनके समाधान खोजने एवं किसानों की आजीविका की बढ़ोतरी की दिशा में काम करें। पर्यवारण-संरक्षण के संदेश को प्रचारित करने हेतु डॉ.मधुरा स्वामीनाथन एवं अन्य उपस्थित गणमान्यों ने पौधारोपण भी किया।