निवेदिता इन्टर कालेज में अनाथ बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार (Vidyarambh Sanskar) नागर समाज की सहभागिता से शुरू हुआ। विद्यारम्भ संस्कार में नार्थ परिषद काशी की भी भागीदारी रही। कार्यक्रम में प्रशान्त हस्तारकर ने बताया कि हिन्दू धर्म में जन्म से मृत्यु के बीच 15 संस्कार होते हैं। उनमें से 10वां संस्कार विद्यारम्भ संस्कार होता है। माता-पिता के साथ रहने वाले अधिकांश बच्चों में तो यह संस्कार हो जाता है, लेकिन जिनके माता पिता नहीं होते (अनाथ) ऐसे बच्चे इससे चूक जाते हैं। ऐसे बच्चों के विद्यारंभ के लिए नॉर्थ परिषद् काशी और नागर समाज की सहभागिता से कार्यक्रम तैयार किया गया।
प्रशांत हस्तारकर ने बताया कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में रहने वाले लोगों को इन बच्चों का साथ देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में विद्यारंभ संस्कार और व्यापक स्तर पर किया जायेगा। निर्मला पटेल और इंजीनियर अशोक यादव कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। दोनों राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य हैं। इन्होंने कहा कि भारत वर्ष में कोई बच्चा अनाथ नहीं हो सकता। हिन्दू धर्म में भी और कानूनी रूप से भी फॉस्टर केयर कार्यक्रम को परिभाषित किया गया है। जरूरत नागरिकों के आगे आने की है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पातालपुरी मठ के महन्त बालक नाथ ने कहा कि संत समाज इस कार्यक्रम का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, भविष्य जुन रखनाथ (अनार्थ) के लिये जो सहयोग होगा प्रदान किया आयेगा। विशिष्ट अतिथि केशव जालान ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में कोई रखनाथ (अनाथ) नहीं हो सकता। जरूरत है काशीवासियों के आगे आने की। विद्यारंभ संस्कार प्रारम्भ किया गया है। हम सभी इसका स्वागत करते हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि काशी नगरी का कोई भी बच्चा अपने को अनाथ न समझे। काशी के नागरिक उनके संरक्षक हैं।
विद्यारम्म संस्कार में पूजन कार्य गायत्री परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अर्चना अग्रवाल ने किया। पूरे आयोजन को सफल बनाने में शहर के कई समाजसेवी संगठन और नागरिकों की अहम भूमिका रही। विद्यारम्भ संस्कार के दौरान पधारे अनाथ बच्चों एवं परिवार का तिलक लगा कर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात बच्चों के अभिवावकों ने बच्चों के साथ बंध किया और साथ में भविष्य में भी उनका ध्यान रखने का संकल्प प्रकट किया। रचना अग्रवाल, निवेदिता उसर कॉलेज की प्रधानाचार्या की अहम भूमिका रही। डॉ रचना अग्रवाल बाल अधिकार आयोग की सदस्या हैं।
आयोजकों ने काशीवासियों से त्रेतायुग के ऋषि कण्व जैसे बनने का आह्वान किया। महर्षि कण्व वैदिक काल में हुए जिनके आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और राजकुमार भरत का लालन पालन हुआ। वर्तमान प्रदेश सोनभद्र में जिला मुख्यालय से आठ-10 किलो मीटर की दूरी पर कण्व ऋषि की तपस्थली है।