आज पूरी दुनिया World Students’ Day मना रही है। इस दिन का कनेक्शन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से है। डॉ कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था।
12 साल पहले हुई World Students’ Day की शुरुआत
विश्व छात्र दिवस 2022 के दिन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती को चिह्नित किया जाएगा। 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस व्यापक रूप से मनाया जाता है। भले ही संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में घोषित नहीं किया है, लेकिन 12 साल से World Students’ Day मनाया जा रहा है। पहली बार 2010 में मनाए गए विश्व छात्र दिवस के दिन भी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को याद किया गया था।
छात्र खुद का बेस्ट वर्जन बनें
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम शिक्षण के लिए इतने समर्पित थे कि वह भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के अगले ही दिन शिक्षण के अपने पेशे में वापस चले गए थे। डॉ कलाम ने हमेशा अपने छात्रों को खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
शुरुआत और अंत के बारे में डॉ कलाम
यह भी दिलचस्प है कि मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ कलाम ने कई किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने छात्रों को मोटिवेट करने के लिए अपने जीवन से ही कई उदाहरण दिए। डॉ कलाम के दो मशहूर कथन हैं-
यदि आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि F.A.I.L. का अर्थ है ‘सीखने में पहला प्रयास’ (First Attempt In Learning)
डॉ कलाम अक्सर कहते थे
End का मतलब अंत नहीं होता। वास्तव में E.N.D. का अर्थ है ‘प्रयास कभी नहीं मरता।’ (Effort Never Dies) और
ना का मतलब इनकार नहीं, Next Opportunity
अक्सर छात्र जीवन में रिजेक्शन आगे बढ़ने की दिशा में बड़ी बाधा बनती है। इस पर डॉ कलाम का कहना था कि यदि आपको उत्तर के रूप में ना सुनने को मिले, तो याद रखें कि N.O का अर्थ है ‘अगला अवसर’ (Next Opportunity) ऐसे में सकारात्मक रहने का प्रयास करें।
बच्चों को प्रौद्योगिकी से जोड़ने पर जोर
डॉ कलाम का मानना था कि शिक्षक को चरित्र, मानवीय मूल्यों के निर्माण में मदद करनी चाहिए। प्रौद्योगिकी के माध्यम से बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए। डॉ कलाम कहते थे कि बच्चों में अभिनव और रचनात्मक होने का विश्वास पैदा करना चाहिए जो उन्हें भविष्य का सामना करने के लिए प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा।
1997 भारत रत्न डॉ कलाम बने
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी aeronautical engineering की पढ़ाई की। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में शामिल होने के बाद उन्होंने मिसाइल के मामले में भारतीय वैज्ञानिकों के सामने मिसाल कायम की। डॉ कलाम को 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
डॉ कलाम हमेशा जीवित रहेंगे
राष्ट्रपति या वैज्ञानिक से अधिक खुद को शिक्षक के रूप में पेश करने वाले डॉ कलाम के जीवन का भाग्य देखिए। छात्रों के बीच भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में एक व्याख्यान देने के दौरान अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और मां भारती का ये सपूत हमारे बीच से विदा हो गया। हृदय गति रूकने के कारण मंच पर गिरे डॉ कलाम 27 जुलाई, 2015 को 83 वर्ष की आयु में चिरनिद्रा में सो गए। हालांकि, उनके निधन के 7 साल बाद भी उनके व्याख्यान, डॉ कलाम की किताबें और उनकी कही बातें हमारे बीच जीवंत हैं। छात्र और शिक्षक के रूप में जीवन जीने वाले लोंगों के बीच भारत रत्न डॉ कलाम हमेशा जीवित रहेंगे, क्योंकि ऐसी हस्तियां कालगति से परे चिरंतन होती हैं।