राजस्थान में सियासी गहमागहमी बढ़ने लगी है। इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपनी ही सरकार से खासा नाराज चल रहे हैं। पायलट लगातार सीएम अशोक गहलोत से सवाल पूछ रहे हैं। रविवार को पायलट ने एक बार फिर से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी और वसुंधरा जी के कार्यकाल में हुए करप्शन के खिलाफ सवाल उठाना किसी भी दृष्टि से पार्टी विरोधी नहीं हो सकता।’ इसके बाद पायलट ने सोनिया गांधी की अवहेलना का भी जिक्र कर दिया। आइए समझते हैं पूरा मामला…
दरअसल, बीते दिनों सचिन पायलट अनशन पर बैठ गए थे। पायलट ने सीएम गहलोत से यह सवाल पूछा कि पूर्व के भाजपा कार्यकाल में जो करप्शन हुए उन पर साढ़े चार सालों में भी कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। कांग्रेस ने पायलट के इस अनशन को पार्टी विरोधी बताया था। आज मीडिया से बात करते हुए पायलट ने कहा, ‘कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जी संजीदा आदमी हैं। वह सबकी रिपोर्ट ले रहे हैं, सही गलत का फैसला होना चाहिए। यह सच है कि 25 सितंबर को जो घटना हुई वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी के आदेशों की खुला अवहेलना थी। खड़गे जी और माकन जी की बेइज्जती की गई। अभी तक इसपर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया?’
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25 सितंबर को क्या हुआ था?
सचिन पायलट के बयान के मायने को समझने के लिए हमें साल 2022 के सितंबर महीने में लौटना होगा। दरअसल, सितंबर में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर काफी विवाद हुआ था। सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। गहलोत के इस ऐलान के बाद यह माना जा रहा था कि पायलट को राजस्थान का सीएम बना दिया जाएगा। लेकिन यह कयास लगाया जा रहा था कि गहलोत सीएम का पद नहीं छोड़ेंगे या अगर छोड़ेंगे तो अपने गुट के किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाएंगे।