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  • November 21, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

शिंदे-उद्धव केस: गवर्नर-स्पीकर की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो कुर्सी होती बहाल

शिंदे-उद्धव केस: गवर्नर-स्पीकर की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो कुर्सी होती बहाल

महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों की सदस्यता, गवर्नर और स्पीकर की भूमिका जैसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी बेंच को भेज दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर पर सख्त टिप्पणी करते हुए उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाएगा. सीजेआई ने कहा, अरुणाचल के नबाम रेबिया मामले को उठाए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए, क्योंकि उसमें और स्पष्टता की आवश्यकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे को विधायकों ने अपना नेता माना था. ऐसे में स्पीकर को स्वतंत्र जांच करने के बाद फैसला लेना चाहिए था.

गवर्नर की भूमिका पर एससी का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्टी कलह में पड़ना गवर्नर का काम नहीं है. गवर्नर की जिम्मेदारी संविधान की सुरक्षा की भी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं था. फ्लोर टेस्ट को किसी पार्टी के आंतरिक विवाद को सुलझाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था, जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके है.

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उद्धव नहीं देते इस्तीफा तो कुर्सी होती बहाल

उद्धव ठाकरे ने अगर इस्तीफा नहीं दिया होता तो सरकार बहाल का आदेश हो सकता था. कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को फैसले से रोकना सही नहीं है. हम इससे सहमत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. महाराष्ट्र में हम पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते. विधायकों की अयोग्यता पर हम फैसला नहीं ले सकते. इस पर फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर लें.

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