अब रेलवे के बड़े अफसर ( General Manager) किसी भी स्टेशन का निरीक्षण करने जाएंगे तो यहां पर अर्दलियों को उनकी जी हुजूरी नहीं करनी होगी. उनके लिए कोई रेड कारपेट भी अब नहीं बिछाया जाएगा. अधिकारियों को अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता खत्म करनी होगी. अभी तक रेलवे के बड़े अधिकारी जहां भी आते हैं वहां पर सैलून साइडिंग से उतरने के बाद अर्दली उनकी खातिरदारी में लगते हैं, साथ ही वहां पर डेकोरेशन किया जाता है. रेड कारपेट भी बिछाया जाता है, लेकिन हाल ही में रेल मंत्री ने इस पर नाराजगी जताते हुए इस तरह की व्यवस्थाओं को भूल जाने के लिए अधिकारियों को कहा है. ऐसे में अब निरीक्षण के दौरान अधिकारी भी वीआईपी नहीं रह जाएंगे. अब रेलवे के महाप्रबंधक भी सामान्य रेल यात्री की तरह सफर करेंगे. उनके लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था नहीं होगी और निचले स्तर के अधिकारियों को भी उनकी खातिरदारी करने के लिए काम-धाम छोड़कर नहीं लगना पड़ेगा.
10 कोच वाली स्पेशल ट्रेन में चलते हैं जीएम
रेलवे में सबसे अधिक अधिकार महाप्रबंधक में निहित होते हैं. महाप्रबंधक जब भी निरीक्षण करने निकलते हैं तो उनके लिए 10 कोच वाली स्पेशल ट्रेन तैयार की जाती थी. उनकी जी हुजूरी करने के लिए अधिकारियों को लगना पड़ता है. उन्हें हर 10 मिनट पर खाने पीने को चाहिए होता है तो उसकी पूरी व्यवस्था करनी पड़ती है. स्टेशन पर पहुंचने के दौरान साज सज्जा के साथ ही दो अर्दलियो की ड्यूटी लगती थी, वहीं अन्य व्यवस्थाएं भी रेलवे को करनी पड़ती हैं. निरीक्षण को देखकर ऐसा लगता है कि कोई बहुत बड़ा आयोजन हो रहा है. यह सब सिर्फ एक अधिकारी के लिए ही करना पड़ता है, लेकिन अब देश के रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए इस तरह की व्यवस्थाओं को भूल जाने के लिए अधिकारियों को कहा है. उन्होंने रेलवे बोर्ड को सभी जोन के लिए आदेश जारी करने को कहा जिसके बाद अब रेलवे बोर्ड ने आदेश जारी किया है कि किसी तरह की वीवीआईपी व्यवस्थाएं नहीं होनी चाहिए. अब कई दशक पुरानी व्यवस्था खत्म की गई है.
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यात्री ट्रेन को रोक कर दिया जाता है स्पेशल ट्रेन को रास्ता
रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि कुल 17 में से 16 जोन और उत्पादन इकाइयों के जीएम मंडलों और कार्यशालाओं में वार्षिक निरीक्षण करते थे. बड़े पैमाने पर निरीक्षण के लिए रेलवे अधिकारियों को तैयारियां करनी पड़ती थीं. स्टेशन परिसर को पूरी तरह सजाया जाता था. सेक्शन के सभी कामों को पूरी तरह दुरुस्त किया जाता था. महाप्रबंधक अपनी स्पेशल ट्रेन से निरीक्षण करते थे. यात्रियों की ट्रेन रोककर जीएम की स्पेशल ट्रेन को पहले रास्ता देकर रवाना किया जाता था. विभिन्न मंडलों के मंडल रेल प्रबंधक सीनियर अधिकारियों के साथ इस निरीक्षण में शामिल होने के लिए सैकड़ों किलोमीटर जाते थे, लेकिन अब इस तरह की व्यवस्था महाप्रबंधक के लिए भी नहीं रह जाएगी.
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उत्तर प्रदेश में आते हैं ये जोन
अगर उत्तर प्रदेश में रेलवे के जोन की बात करें तो कुल चार जोनल के नौ रेल मंडल दायरे में आते हैं. मुरादाबाद और लखनऊ रेल मंडल उत्तर रेलवे का है. वाराणसी, इज्जत नगर और लखनऊ पूर्वोत्तर रेलवे का, आगरा, झांसी और प्रयागराज उत्तर मध्य रेलवे के अंतर्गत आते हैं. पंडित दीनदयाल उपाध्याय पूर्व मध्य रेलवे के दायरे में आता है. सभी जोन में जल्द ही नई गाइडलाइन के मुताबिक इंस्पेक्शन का खाका जारी किया जाएगा.
बन रही नई गाइडलाइन
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर कारपोरेट कुलदीप सिंह ने बताया कि महाप्रबंधकों कि पारंपरिक और वार्षिक निरीक्षण को अब सभी जोन और उत्पादन इकाइयों में समाप्त करने के निर्देश दे दिए गए हैं. रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वीके त्रिपाठी ने 31 दिसंबर को यह आदेश सभी जोन और उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक को दे दिए थे. अब बोर्ड के नए चेयरमैन एके लाहोटी नई गाइडलाइन जल्द जारी करेंगे.
क्या कहते हैं रेल मंत्री
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि रेलवे अधिकारियों को अपना माइंडसेट बदलना होगा. अपने को भी वीआईपी दिखाने की आदत छोड़नी होगी. यह बिल्कुल भी भूल जाना है. इंस्पेक्शन के दौरान उन्हें बिल्कुल भी एहसास नहीं कराना है कि वे वीवीआईपी हैं. 50 लोग उनकी जी हुजूरी में नहीं लगेंगे. यह भी सुनने और देखने में आता है कि इंस्पेक्शन के दौरान हर 10 मिनट पर कुछ न कुछ खाने को चाहिए होता है, यह भी बिल्कुल ठीक नहीं है. पूरी तरह से प्रोफेशनल बनना होगा. पब्लिक बिहेवियर को ध्यान में रखकर काम करना होगा. जो देश हित में हो उसी के लिए काम करें. रेलवे अधिकारी अपनी साम्राज्यवादी सोच को पूरी तरह से बदल लें, पूरी तरह से भूल जाएं.