Mulayam Singh Yadav का 82 साल की आयु में निधन। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे मुलायम सिंह यादव ने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मेदांता अस्पताल में भर्ती कराए गए मुलायम सिंह यादव की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही थी और आज सुबह डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके बेटे अखिलेश यादव ने ट्वीट कर पिता के निधन की सूचना शेयर की।
मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे। pic.twitter.com/jcXyL9trsM
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 10, 2022
Mulayam Singh Yadav ‘धरतीपुत्र’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा, साधारण परिवेश में पलने बढ़ने के बावजूद राजनीति में शीर्ष पद तक पहुंचना गौरव की बात है। राष्ट्रपति ने मुलायम सिंह यादव को धरतीपुत्र करार दिया।
श्री मुलायम सिंह यादव का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। साधारण परिवेश से आए मुलायम सिंह यादव जी की उपलब्धियां असाधारण थीं। ‘धरती पुत्र’ मुलायम जी जमीन से जुड़े दिग्गज नेता थे। उनका सम्मान सभी दलों के लोग करते थे। उनके परिवार-जन व समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं!
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 10, 2022
Mulayam Singh Yadav ने मोदी को 9 साल पहले आशीर्वाद दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम राजनीतिक हस्तियों ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने मुलायम सिंह यादव को लोकतंत्र समर्थक सिपाही करार दिया। बकौल पीएम मोदी, 2013 में उन्होंने जो आशीर्वाद दिया था, उसमें कभी उतार-चढ़ाव नहीं आने दिया।
PM @narendramodi condoles the demise of Samajwadi Party founder #MulayamSinghYadav during his speech at Bharuch, #Gujarat. pic.twitter.com/45MIzojp9W
— All India Radio News (@airnewsalerts) October 10, 2022
देश के लिए बड़ी क्षति बताते हुए उन्होंने कहा कि बतौर सीएम मिलने के बाद अपनत्व का अनुभव होता था। उन्होंने कहा कि 2014 में पीएम कैंडिडेट बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। उनकी सलाह आज भी मेरी अमानत हैं।
मुलायम सिंह यादव का किरदार भारत की राजनीति में कुछ ऐसा है जिस पर चर्चा के बिना सियासत अधूरी लगती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुलायम सिंह यादव उस सूबे के मुख्यमंत्री रहे जो देश की सत्ता में संख्या के लिहाज से सबसे अहम है। मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में एक ऐसा आंदोलन हुआ जिसने बिफोर ओर आफ्टर दी टाइम जैसी लकीर खींच दी। यह बात इसलिए क्योंकि 1990 के दशक में शुरू हुआ राम मंदिर बाबरी मस्जिद आंदोलन मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में हुआ। इससे राम मंदिर आंदोलन एक निर्णायक दिशा में मुड़ा। एक ओर कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिराया तो दूसरी तरफ प्रशासन ने हालात को नियंत्रित करने के लिए जो कार्रवाई की उस पर आज भी सवाल खड़े होते हैं।
राजनीतिक विरोधी मुलायम सिंह यादव पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कई बार यह बातें सामने आई हैं कि 1990 के दशक में जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन शुरू हुआ तो उसी समय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में बाबरी मस्जिद के ढांचे को बरकरार रखने की चुनौती भी थी। टकराव इस बात पर हो रहा था कि राम लला का मंदिर निर्माण कराने के लिए बाबरी मस्जिद गिराई जाए, लेकिन विरोध के बावजूद तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने पुलिस को गोली चलाने की अनुमति क्यों दी, इस पर विपक्ष सवाल खड़े करता है।
सियासी पंडित ये मानते हैं कि 1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी ने जब रथ यात्रा शुरू की तो उससे बिहार और यूपी की सरकारों के माथे पर बल पड़ गए। बिहार में उस समय लालू प्रसाद यादव की सरकार थी जबकि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। दोनों भाजपा और लालकृष्ण आडवाणी की योजना से स्तब्ध थे। एक ओर राम मंदिर निर्माण आंदोलन जोर पकड़ रहा था तो इसी दौरान मुलायम सिंह यादव ने दो टूक लहजे में कहा था कि विवादित स्थल पर परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सरीखे नेताओं ने भी राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था।
अक्टूबर 1990 में लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। यूपी पुलिस ने इसी दौरान गोलियां चलाईं थीं। आरोप लगता है कि मुलायम सिंह यादव ने बाबरी मस्जिद की रक्षा के लिए कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिा। एक रिपोर्ट में तो यह दावा भी किया गया है कि मुलायम सिंह यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि मस्जिद बचाने के लिए 16 की जगह 30 लोगों की जान भी लेनी पड़ती तो भी वे तैयार थे।
बहरहाल, मुलायम सिंह यादव भारत की राजनीति का एक ऐसा चमकता सितारा रहे हैं जिन्हें समाजवाद के फॉलोअर्स मसीहा की तरह देखते हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक, उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे के पूर्व मुखिया और पूर्व सांसद मुलायम सिंह यादव भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़े स्मृतियां भारत की राजनीति में कई वर्षों तक ताजा रहेंगी।
दिवंगत को श्रद्धांजलि…