Varanasi : विष से पूरा विश्व डरता है। समुन्द्र मंथन से निकले गरल (विष) को भगवान शंकर ने मानव जाति के कल्याण के लिए पी लिया था। और नीलकंठ महादेव के नाम से जाने गए। विष के जलन को कम करने के लिए इन पर जल चढ़ाया जाता है। भोलेनाथ जी जल के प्रिय देवता बन गए है। ज्येष्ठ मास की निर्जला एकादशी के पावन दिवस पर करोड़ो हिन्दू भगवान शंकर पर जल चढ़ाते है।
लोकायत देवता नटराज जी के जलप्रिय स्वरुप श्री काशी विश्वनाथ जी का सामूहिक जलाभिशेक कराना ही सुप्रभातम् का मूल उद्देश्य है। उत्तरवाहिनी माँ गंगा के पावन तट पर बसी भगवान शंकर की प्रिय नगरी में निर्जला एकादशी पर्व के दिन वार्षिक अनुष्ठान के रूप में आयोजित उपर्युक्त कलश यात्रा नगर की एक मात्र ऐसी विशाल यात्रा है जो पुरे भारत में प्रचारित है।
सतयुग, त्रेता एवं द्वापर युग में ज्योति के रूप में द्वादश ज्योर्तिलिंग भारत वर्ष के विभिन्न अंचलों में स्थापित हुए जो करोड़ो हिन्दू जनमानस के आस्था के प्रतीक है। इनमे श्री काशी विशेश्वर ज्योर्तिलिंग का अपना विशिष्ट स्थान है। क्यों कि यह इतिहास से भी पुरानी नगरी काशी में है। और काशी भोलेनाथ जी का निवास स्थल है। तिथियों के वंदनवार जहाँ वंदना की मुद्रा में मिले और इतिहास भूमि इतराती हुई आपकी आँखों के सामने से जेहन को स्पर्श करती गुजर जाय। मन बार-बार जिसे देखने को चाहे । जहाँ जीने को जी चाहे और मरने की भी इच्छा बलवती बनी रहे। पूरी दुनिया में ऐसा सिर्फ एक शहर है और वह है बनारस कहा जाता है यह मृत्यु लोक है। क्या सच में मृत्युलोक में प्राणी जीवन जीता है ? बनारस में भगवान शंकर मृत्यु प्राप्त करने वाली पवित्र आत्मा को बीजासरमंत्र प्रदान करके अपने में समाहित कर लेते है। क्षणभंगूर शरीर मिट्टी में मिल जाता है। जिसे मृत्यु कहा गया। सच में तो काशी में मृत्यु शरीर को मिलती है। आत्मा अजर अमर है। आत्मा को नया जन्म मिल जाता है। मतलब शरीर के नष्ट होने के बाद पुनः नया जीवन प्रारंभ होता है। इसलिए कहा जाता है यह जिन्दा शहर बनारस है.
शंकराचार्य जी की प्रेरणा से सन १९९९ में कलश यात्रा प्रारंभ हुई। इस कलश यात्रा का उद्देश्य था द्वादश ज्योर्तिलिंगों का आपस में जोड़कर अपनी संस्कृति का आदान-प्रदान एवं देश की एकता को मजबूत करना। अब तक सभी ज्योर्तिलिंग के अध्यक्ष/प्रधान पुजारी एवं अन्य विशिष्ट जन कलश यात्रा में सहभागिता करके कलश यात्रा को महिमा मंडित कर चुके है।
इस वर्ष दिनांक ३१ मई २०२३ बुधवार को प्रातः ७ बजे कलश यात्रा श्री राजेंद्र प्रसाद घाट से गोदौलिया, बांसफाटक होते हुए ज्ञानवापी स्थित श्री काशी विशेश्वर मंदिर जाएगी।
श्री अमर कान्त जी वैदिक विद्वान के द्वारा मुख्य यजमान श्री विनोद लोहिया जी (समाज सेवी) के हाथो कलश का एवं माँ गंगा का पूजन प्रातः ६.३० बजे प्रारंभ कराके ७ बजे से कलश यात्रा प्रारंभ की जाएगी। यात्रा के साथ डमरू वादक एवं शंख दल भी चलेगा। प्रसन्ना जी का शहनाई वादन राजेंद्र प्रसाद घाट से श्री काशी विश्वनाथ मंदिरतक होगा। मंदिर पहुँचकर कलश धारक जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करंगे एवं समिति द्वारा प्रदत्त प्रसाद लेकर चले जायेंगे। मंदिर में रुद्राभिषेक एवं दुग्धाभिषेक किया जायेगा। सभी कलश धारक के पास समिति द्वारा जारी
पास रहेगा जिसे लगाकर एवं कलश लेकर जलाभिषेक को जायेंगे। रास्ते भर जल छिड़काव एवं पुष्प वर्षा मारवाड़ी युवक संघ द्वारा किया जायेगा। अनेको धार्मिक संस्थाओं द्वारा जगह-जगह पर पेय वितरण एवं कलश यात्रा का स्वागत किया जायेगा। बाल सखा परिषद् द्वारा बांसफाटक पर सभी कलश धारको का जल से पद प्रक्षालन किया जायेगा। सभी कलश धारको से निवेदन किया गया है कि लाईन से चलकर जलाभिषेक करने
जाए। मंदिर के नियमों के अनुसार मोबाईल, खैनी, गुटखा इत्यादि न लें जाये अन्यथा सुरक्षाकर्मी द्वारा रोक दिया जायेगा। इस वर्ष २०२३ कलश यात्रा के मुख्य अतिथि श्री संतोष दास जी सतुआ बाबा कलश
यात्रा में चलेंगे। इनके साथ अनेको गणमान्य व्यक्ति भी रहेंगे। ११ रजत कलश में दूध एवं पवित्र नदियों का जल लेकर अति विशिष्ट लोग चलेंगे। परमाचार्य जी के रथ के साथ श्री कांची कामकोटि मठम के श्री सुब्रमण्यम (मजी जी) कलश यात्रा की शोभा बढ़ाएंगे।
१९९९ से ही सुप्रभातम के सचिव स्व० राजकिशोर गुप्त जी C/o राजबन्धु कलश यात्रा को जीवंत किये। हर वर्ष की भाति एक ट्राली पर उनके फोटो को कलश यात्रा में शामिल कराके उनको याद करके श्रद्धांजलि दिया जायेगा। श्री श्याममंडल वाराणसी द्वारा रास्ते भर कीर्तन, भजन की व्यवस्था की जाएगी। श्री सेठ किशोरी लाल जलान सेवा ट्रस्ट द्वारा बांसफाटक पर कलश धारको पर पुष्प वर्षा की जाएगी। एवं पेय जल वितरण करेंगे। मारवाड़ी युवा मंच वाराणसी के युवा कार्यकर्ता कलश वितरण में सहयोग करके पुरे रास्ते में कलश यात्रा को संचालित करंगे। गोदौलिया पर शर्बत वितरण एवं कलश यात्रा का स्वागत भी करेंगे।
वितरित किया जायेगा। मुख्य अतिथि का स्वागत किया जायेगा। श्री हनुमान सेवा समिति नेवादा के रामबली मौर्या जी अपने सहयोगियों के साथ सुगमता से कलश
कोरोना काल से सुप्रभातम एवं काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति (हरिश्चंद्र घाट) वाराणसी के संयुक्त प्रयास से कलश यात्रा निकाली जा रही है।