Logo
  • January 25, 2025
  • Last Update January 8, 2025 1:51 pm
  • Noida

प्रदूषण से बचाव के लिए संजीवनी बनेगा जंगली अदरक, AMU के शोध से जगी उम्मीद

प्रदूषण से बचाव के लिए संजीवनी बनेगा जंगली अदरक, AMU के शोध से जगी उम्मीद

शहरों की मूल समस्या है प्रदूषण और इस प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है औद्योगिक कचरा. कल कारखानों से निकले केमिकल नालों में गिरते हैं और नालों के जरिए ग्राउंड वॉटर और नदियों में भी जाकर मिलते हैं. इससे कई तरह की बिमारियाँ उत्पन्न होती है जैसे कैंसर, अस्थमा के अलावा लीवर खराब हो सकता है. टीबी होने व आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा रहता है.

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इंटरडीसीप्लिनरी नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर (IDNT) के वरिष्ठ नैनोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट प्रो. अवसार अहमद की अध्यक्षता में गठित एक टीम ने औद्योगिक कचरे के सबसे हानिकारक केमिकल क्रोमियम-6 को लाभदायक केमिकल क्रोमियम-3 में बदलने का तरीका ढूंढ निकालने का दावा किया है. इसके लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है और दावा किया जा रहा है कि जंगली अदरक कहे जाने वाले अल्पीनिया जेरुम्बेट की पत्तियां इस समस्या की काट हैं.

उन्होंने बताया कि अल्पीनिया जेरुम्बेट की पत्तियों के साथ जिंक सल्फेट का मिश्रण से तैयार करने में मदद मिली है. देश में इस तरह का यह पहला शोध है जिससे काफी उम्मीदें भी जगी है. आपको बता दें कि अल्पीनिया जेरुम्बेट को जंगली अदरक भी कहा जाता है. यह दुनिया के हर कोने में पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया और खास तौर पर भारत को इसका मूल स्थान माना जाता है. हमारा प्रयास है कि हरित विधि के प्रयोग से इस प्रक्रिया को पूरा करना. अब बड़ी मात्रा में जिंक सल्फाइड तैयार कर बाजार में उतारने का काम होगा. क्रोमियम 6 से क्रोमियम 3 बदलने में उन्हें सफलता मिली है. जिसे फसलों के लिए उपयोगी पाया गया है.

editor

Related Articles