Ahmadi community : मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में अब आवाम की धार्मिक आस्था भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां रहने वाले अहमदिया मुसलमान (Ahmadi community) कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ नफरत की एक और घटना सामने आई। हमलावरों ने कराची में कादियानी मस्जिद पर हमला किया और जमकर तोड़-फोड़ की। एक महीने में दो बार मस्जिद पर हमला हो चुका है। इस घटना की कट्टर धार्मिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक ने जिम्मेदारी ली है। यह वह पार्टी है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन है। अहमदिया मुसलमान कौन हैं और पिछले कुछ सालों में इस समुदाय के खिलाफ हिंसा क्यों बढ़ती जा रही है, समझते हैं।
शुक्रवार को पाकिस्तान के कराची शहर में एक बार फिर अहमदिया मुसलमान कट्टरपंथियों के निशाने पर आए। पाकिस्तानी मीडिया द राइज न्यूज ने ट्वीट कर बताया कि कराची में कादियानी मस्जिद पर हमलावरो ने तोड़-फोड़ की और मस्जिद को अपवित्र कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-लब्बैक ने ली है। यह संगठन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सपोर्ट करती है। यह एक महीने में दूसरी घटना है। इससे पहले कराची में जमशेद रोड स्थित अहमदी जमात खाने की मीनारें तोड़ी गई थी।
मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में अब आवाम की धार्मिक आस्था भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां रहने वाले अहमदिया मुसलमान (Ahmadi community) कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ नफरत की एक और घटना सामने आई। हमलावरों ने कराची में कादियानी मस्जिद पर हमला किया और जमकर तोड़-फोड़ की। एक महीने में दो बार मस्जिद पर हमला हो चुका है। इस घटना की कट्टर धार्मिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक ने जिम्मेदारी ली है। यह वह पार्टी है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन है। अहमदिया मुसलमान कौन हैं और पिछले कुछ सालों में इस समुदाय के खिलाफ हिंसा क्यों बढ़ती जा रही है, समझते हैं।
शुक्रवार को पाकिस्तान के कराची शहर में एक बार फिर अहमदिया मुसलमान कट्टरपंथियों के निशाने पर आए। पाकिस्तानी मीडिया द राइज न्यूज ने ट्वीट कर बताया कि कराची में कादियानी मस्जिद पर हमलावरो ने तोड़-फोड़ की और मस्जिद को अपवित्र कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-लब्बैक ने ली है। यह संगठन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सपोर्ट करती है। यह एक महीने में दूसरी घटना है। इससे पहले कराची में जमशेद रोड स्थित अहमदी जमात खाने की मीनारें तोड़ी गई थी।
यह पाकिस्तान में नई बात नहीं कि अहमदिया मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। दरअसल, इसके पीछे लंबा इतिहास है। 1974 में पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने इस समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित किया था। भीड़ में हमले और हत्याओं के साथ अहमदिया समुदाय के खिलाफ हिंसा लगातार सामने आती रही है।