2019 पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 CRPF जवानों में से प्रत्येक को 1.56 करोड़ से 2.94 करोड़ रुपये तक मुआवजा दिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार को संसद में यह जानकारी दी गई। पार्लियामेंट में एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बारे विस्तार से बताया। उन्होंने शहीदों के परिजनों को दी गई नौकरियों या प्रस्तावित नौकरियों की भी लिस्ट दिखाई। राय ने कहा कि दिए गए मुआवजे में केंद्र, राज्य सरकार की ओर से दी गई राशि और व्यक्तियों व कॉरपोरेट्स द्वारा भेजा गया दान भी शामिल है। उन्होंने ड्यूटी के दौरान शहीद हुए प्रत्येक सीआरपीएफ जवान के परिवार का हवाला देते हुए यह बात कही।
नित्यानंद राय ने कहा कि शहीद जवानों के परिजनों को अलग-अलग सेक्टर्स में नौकरियां दी गई हैं। मिसाल के तौर पर, उन्होंने बताया कि 2 सैनिकों की पत्नियों को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार में लोअर डिवीजन की नौकरी मिली। कई लोगों ने अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर अपने बेटों के लिए 18 साल की उम्र पूरी होने पर फोर्स में जॉब की अपील की है। राय ने बताया कि एक जवान की पत्नी को पंजाब पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी दी गई है। एक अन्य शहीद की पत्नी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में डीसी कार्यालय में क्लर्क के पद पर तैनात है।
14 फरवरी, 2019 को क्या हुआ था
14 फरवरी, 2019 को पुलवामा जिले के लेथपोरा से गुजरते समय आत्मघाती हमलावर ने CRPF के काफिले में विस्फोटकों से भरी कार घुसा दी थी। इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए। पुलवामा अटैक जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के सबसे घातक हमलों में से एक है। सुरक्षा बलों पर हमले बाद सेना और अर्धसैनिक बलों को घाटी में काफिले को आगे बढ़ाते समय अब नए ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। NH44 का बड़ा हिस्सा पहले सीसीटीवी कैमरों से कवर नहीं किया गया था, मगर अब यह चौबीसों घंटे सीसीटीवी की निगरानी में रहता है। मालूम हो कि जब यह हमला हुआ तब 2,500 से अधिक सीआरपीएफ जवानों के साथ 78 वाहनों का काफिला हाईवे पर था।
पुलवामा में पहाड़ी की चोटी पर बन रहा शहीद स्मारक
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पहाड़ी की चोटी पर 40 CRPF सैनिकों की याद में शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। इसके लिए 2 एकड़ की जमीन की पहचान पहले ही की जा चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित स्मारक कश्मीर के सबसे बड़े स्मारकों में से एक होगा, जहां जवान तैनात थे और हमले के समय फिर से ड्यूटी के लिए निकले थे। दूसरी ओर, संसद की एक समिति ने देश के समक्ष उत्पन्न सीमापार आतंकवाद, अवैध प्रवास, जाली मुद्रा व प्रतिबंधित पदार्थों और हथियारों की तस्करी जैसे खतरों पर ध्यान दिलाया है। समिति ने इस पर सरकार से सीमा सुरक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण और सीमाओं पर संपर्क की कमी को दूर करने के उपाय करने को कहा है।