कुछ महीने पहले अपनी कुर्सीं गंवाने के बाद इमरान खान की छटपटाहट बढ़ गई है। जिसके बाद लाहौर से इस्लामाबाद के लिए वो बहुप्रतिक्षित ‘हकीकी आजादी’ मार्च की शुरुआत कर चुके हैं। इस मार्च में वो पाक पीएम शहबाज शरीफ के अलावा सेना और आईएसआई को निशाना बना रहे हैं। इमरान ने अपना मकसद हालांकि पाकिस्तानी आवाम की बेहतरी और पत्रकार अरशद शरीफ के हत्यारों को सजा दिलाना बताया हो लेकिन, यह जगजाहिर है कि वो देश में मध्यावधि चुनाव और आर्मी चीफ की नई नियुक्ति नहीं होने देना चाहते।
इमरान के कदम पर सेना भी सख्ती के मूड में आ गई है और इशारों ही इशारों में इमरान को सबक सिखाने के मूड में है। साफ है अभी-अभी बाढ़ की त्रासदी झेल चुका पाकिस्तान अब गृहयुद्ध की तरफ बढ़ रहा है।
इमरान खान ने देश पर “राजनीतिक दबाव” बनाये रखने के लिए आईएसआई चीफ को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि आईएसआई देश की जनता को धोखे में रख रही है। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार आईएसआई चीफ ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। उन्होंने इमरान खान पर बड़े आरोप लगाए और कहा कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए इमरान खान ने आर्मी चीफ को पद पर बने रहने का ऑफर दिया था। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बारे में बोलते हुए पीटीआई चीफ खान ने कहा कि ये अधिकारी संस्था की छवि खराब कर रहे हैं।
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राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इमरान खान सत्ता पाने की लगातार कोशिश में हैं। वो चाहते हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की केन्या में रहस्यमय मौत के बाद पाकिस्तानी आवाम की भावनाओं का इस्तेमाल करके आर्मी चीफ जनरल बाजवा और पीएम शहबाज शरीफ की सरकार पर दबाव बनाया जाए। दूसरी ओर सेना भी इमरान खान को करारा जवाब देने के लिए कमर कस चुकी है।