शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला एक बार फिर टल गया है। दिल्ली की राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता की जमानत याचिका पर फैसला 28 अप्रैल तक टाल दिया है। सिसोदिया ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सिसोदिया को 26 फरवरी को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) और 9 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। तब से सिसोदिया की जमानत की कई कोशिशें नाकामयाब हो चुकी हैं।
पिछली तारीख पर भी विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सिसोदिया की याचिका पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिसोदिया ने याचिका में दावा किया गया था कि अब जांच के लिए उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जांच ‘महत्वपूर्ण’ चरण में है। ईडी ने यह कहा था कि उसे कथित अपराध में सिसोदिया की संलिप्तता के नए सबूत मिले हैं। अदालत ने 31 मार्च को सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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इससे पहले सीबीआई ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया और तीन अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर किया। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने आरोप पत्र पर विचार करने के लिए 12 मई की तारीख तय की। सीबीआई ने दलील दी थी कि सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी सक्षम अधिकारियों से प्राप्त कर ली गई है। सीबीआई ने 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था और 58वें दिन आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिससे उन्हें स्वत: जमानत मिलने की संभावना नहीं रहेगी। भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के अंदर उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना होता है, अन्यथा व्यक्ति स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है।