Logo
  • November 21, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

Dengue: न बकरी का दूध, न पपीते के पत्ते, न कड़वी गोलियां… डेंगू मच्छर से छीन ली जाएगी डंक मारने की पावर

Dengue: न बकरी का दूध, न पपीते के पत्ते, न कड़वी गोलियां… डेंगू मच्छर से छीन ली जाएगी डंक मारने की पावर

देशभर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं उत्तर प्रदेश बिहार हिमाचल प्रदेश में डेंगू से कोहराम मचा हुआ लोग परेशान है और डेंगू से निजात के लिए नए-नए उपाय कर रहे हैं. कोई प्लेटलेट्स बढ़ाने में लगा हुआ है तो कोई बकरी का दूध पी रहा है, तो कोई पपीते के पत्‍ते, कोई कड़वी गोल‍ियां खा रहा है या फि‍र हर वो चीजे खा रहा है ज‍िससे प्लेटलेट्स बढ़ जाए.

आज के समय में हर किसी के लिए डेंगू एक चुनौती बना हुआ है. हालत ये है कि एक यूनिट प्लेटलेट्स के लिए लोगों को 10 से 15 हजार चुकाने पड़ रहे हैं. ऐसे में एक राहत की खबर सामने आई है और इस शोध में यह दावा भी किया गया है कि जो डेंगू के डंक का असर है वह काफी कम हो सकता है.

क्या है इस शोध में
डेंगू का मच्छर अब डंक नहीं मार पाएगा और ऐसा अब इसलिए मुमकिन है क्योंकि (IIT) मंडी और स्टेम सेल विज्ञान और पुनर्योजी चिकित्सा संस्थान (इनस्टेम) के शोधकर्ताओं ने उन बायोकेमिकल प्रक्रियाओं की खोज की है, जो डेंगू पैदा करने वाले मच्छर के अंडों को कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने और परिस्थितियों में फिर से जीवित होने में सक्षम बनाती हैं.

शोध में डेंगू लार्वा में होने वाले विशिष्ट अनुकूलन को समझकर उनके लचीलेपन के पीछे के तंत्र पर प्रकाश डाला है ताकि इसे बेहतर तरीक़े से समझा जाए. यह शोध डेंगू जैसे बीमारी के लिए एक नया आधार प्रदान करेगा. इससे रोग फैलने को कम करने में मदद मिलेगी. एलएनजेपी के मेडिकल सुपरिटेंड डॉक्टर रितु सक्सेना ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा क‍ि उम्मीद है इससे काफ़ी राहत देखने को मिलेगी और यह डेंगू के जोखिम को भी काफी कम करेगा.

नोएडा प्राधिकरण की संपत्ति को बेचने वाला गिरफ्तार, इतनी थी प्रोपर्टी की कीमत

इस शोध को हम एक अच्छे रूप में देख सकते हैं, जिससे मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारियों के विरुद्ध लड़ा जा सकता है. यह इस लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह शोध पीएलओएस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है. शोध में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डा.बस्कर बक्थावचालू के साथ अंजना प्रसाद, श्रीसा श्रीधरन और इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन के डा. सुनील लक्ष्मण का सहयोग रहा है.

editor
I am a journalist. having experiance of more than 5 years.

Related Articles