बेंगलुरु में विपक्षी जुटान में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस की मंशा पीएम पद पाने की नहीं है। हम आइडिया ऑफ इंडिया, संविधान, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं। इसी लक्ष्य के लिए हम साथ आए हैं। विपक्षी दलों की दूसरी मीटिंग को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि हम जानते हैं कि हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन वे इतने बड़े नहीं हैं कि उन्हें किनारे ना रखा जा सके। उन्होंने कहा कि राज्यों के लेवल पर हमारे बीच मतभेद हैं, पर देश के आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें अलग रख सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमारी मंशा अपने लिए सत्ता हासिल करना नहीं है। यह संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए है।’ मीटिंग के शुरुआती भाषण में खरगे ने एकता पर जोर दिया। यही नहीं चर्चा है कि आज शाम तक यूपीए का नाम बदल सकता है। इस मीटिंग में सोनिया गांधी ने सुझाव दिया कि गठबंधन का नाम हिंदी में होना चाहिए। वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि नाम में मोर्चा या फिर फ्रंट जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। वहीं खरगे ने एकता का मंत्र दिया और राज्य स्तरीय दलों से मतभेद भुलाने का आग्रह किया।
हमारे मतभेद हैं, पर इतने नहीं कि भुला ना सकें
खरगे ने कहा, ‘राज्य स्तर पर हम लोगों के बीच कुछ मतभेद हैं। लेकिन ये मतभेद इतने बड़े नहीं हैं कि हम उन्हें किनारे रखकर आगे ना बढ़ सकें। हम बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रहे लोगों के हितों के लिए मतभेदों को भुलाकर साथ आ सकते हैं। दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचला जा रहा है। हमें उनके लिए साथ आना होगा।’ उन्होंने इस दौरान जुटे 26 दलों की ताकत का भी जिक्र किया। खरगे ने कहा कि यहां मौजद 26 दलों की अपनी-अपनी ताकत है और वे 11 राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार चला रहे हैं।
हमारे गठबंधन से डरी भाजपा, पुराने दोस्तों को ला रही है साथ
उन्होंने कहा कि आप देख सकते हैं कि हमारे गठबंधन करने की चर्चा भर से भाजपा कैसे डर गई है। खरगे ने कहा कि भाजपा ने अपने ही दम पर 303 सीटें नहीं पाई थीं। उसने सहयोगियों के वोटों का इस्तेमाल किया और सत्ता में आ गई। फिर उन लोगों को किनारे लगा दिया। आज फिर से भाजपा अध्यक्ष और उनके नेता हर राज्य में जा रहे हैं ताकि पुराने साथियों को साथ ला सकें।